वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने कहा है कि विदेशी पूंजी के प्रवाह संबंधी मानदंडों को अधिक उदार बनाने से बीमा क्षेत्र में पिछले 9 साल में करीब 54,000 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आया है. जोशी ने कहा कि सरकार ने बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा को 26 प्रतिशत से बढ़ाकर वर्ष 2015 में 49 प्रतिशत और फिर 2021 में संशोधित कर 74 प्रतिशत कर दिया था.
समाचार एजेंसी पीटीआई को उन्होंने कहा कि सरकार ने इंश्योरेंस इंटरमीडियरी कंपनियों के लिए स्वीकृत एफडीआई सीमा को वर्ष 2019 में बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दिया था. उन्होंने कहा कि सरकार के इन कदमों से दिसंबर, 2014 से जनवरी, 2024 के बीच बीमा कंपनियों में कुल 53,900 करोड़ रुपये का एफडीआई प्राप्त हुआ.
जोशी ने कहा कि इस अवधि में जनवरी, 2024 तक बीमा क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों की संख्या 53 से बढ़कर 70 हो गई. उन्होंने बताया कि इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स की पहुंच वित्त वर्ष 2013-14 में 3.9 प्रतिशत थी, जो बढ़कर वित्त वर्ष 2022-23 में 4 प्रतिशत हो गई. वहीं इंश्योरेंस डेंसिटी 2013-14 के 52 अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 2022-23 में 92 डॉलर हो गया.
बीमा पहुंच को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में बीमा प्रीमियम के प्रतिशत के रूप में मापा जाता है जबकि इंश्योरेंस डेंसिटी का कैलकुलेशन जनसंख्या के अनुपात में बीमा प्रीमियम के रूप में की जाती है. बीमा कंपनियों के प्रबंधनाधीन परिसंपत्तियां (Asset Under Management) 2013-14 में 21.07 लाख करोड़ रुपये थी जो लगभग तीन गुना होकर 60.04 लाख करोड़ रुपये हो गईं. वहीं कुल बीमा प्रीमियम मार्च, 2014 के 3.94 लाख करोड़ रुपये से दोगुना से अधिक होकर 10.4 लाख करोड़ रुपये हो गया.
अगस्त, 2000 में बीमा क्षेत्र को प्राइवेट प्लेयर्स के लिए खोला गया था. वहीं विदेशी कंपनियों को 26 प्रतिशत तक स्वामित्व की अनुमति दी गई थी. उस समय से कई विदेशी कंपनियों ने बीमा क्षेत्र में निवेश किया है.