टिन की कीमतों में इस साल के बचे हुए महीने और अगले साल की पहली तिमाही में मजबूती की संभावना है. जानकारों का कहना है कि मांग में बढ़ोतरी और सप्लाई में कमी की वजह से भाव में तेजी देखने को मिल सकती है. इंटरनेशनल टिन एसोसिएशन यानी आईटीए के सीनियर मार्केट इंटेलिजेंस एनालिस्ट टॉम लैंगस्टन के मुताबिक बेस मेटल्स में व्यापक मंदी की भावना के बीच लंदन मेटल एक्सचेंज पर टिन की कीमतों में मजबूती दर्ज की गई है. बता दें कि अक्टूबर के अंत में भाव 6 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया था, लेकिन LME पर अब भाव 24,800 डॉलर के करीब पहुंच गया है.
फिच सॉल्यूशंस की रिसर्च एजेंसी बीएमआई के मुताबिक 2023 में अभी तक वैश्विक स्तर पर टिन की सप्लाई में कमी है और ताइवान सेमिकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग (TSM) का मानना है कि सेमीकंडक्टर उद्योग निचले स्तर के करीब है और अगले चक्रीय उछाल में प्रवेश करने वाला है. विश्व बैंक ने अपनी कमोडिटी आउटलुक में कहा है कि सप्लाई में व्यवधान की चिंताओं की वजह से पिछली तिमाही की तुलना में 2023 की तीसरी तिमाही में टिन की कीमतों में 2 फीसद का उछाल दर्ज किया गया है. इसके अलावा म्यांमार ने अपनी टिन के भंडार को संरक्षित करने के लिए खदानों को बंद कर दिया है जिसकी वजह से चीन की कच्चे तेल की सप्लाई प्रभावित हुई है. बता दें कि म्यांमार के प्रमुख उत्पादक क्षेत्र वा में टिन के खनन और प्रोसेसिंग का काम अगस्त से बंद हैं. गौरतलब है कि वैश्विक टिन उत्पादन में करीब छठा हिस्सा यहां से आता है और चीन के निर्माताओं के लिए मुख्य सप्लायर है.
म्यांमार से सप्लाई प्रभावित होने की वजह से दुनिया के शीर्ष उपभोक्ता चीन को वैकल्पिक स्रोतों से टिन का आयात करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. चीन का टिन आयात इस साल की पहली तीन तिमाही में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य से 24 फीसद बढ़ गया है और जिसकी वजह से अन्य देशों में टिन की खरीद को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है.