US को स्टील, एल्यूमीनियम प्रोडक्ट्स के निर्यात की होगी निगरानी
अमेरिका ने 2018 में राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए इस्पात उत्पादों पर 25 प्रतिशत और एल्यूमीनियम के कुछ उत्पादों पर 10 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया था.
खान, इस्पात मंत्रालय और उद्योग संवर्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) अमेरिका को रियायती दरों पर इस्पात और एल्युमीनियम उत्पादों के निर्यात की निगरानी के लिए एक आंतरिक तंत्र स्थापित करेंगे. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी है. इन उत्पादों के भारतीय निर्यात पर पहले अमेरिका में अतिरिक्त शुल्क लग रहा था. अमेरिका ने 2018 में राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए इस्पात उत्पादों पर 25 प्रतिशत और एल्यूमीनियम के कुछ उत्पादों पर 10 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया था. भारत ने जवाबी कार्रवाई में जून 2019 में 28 अमेरिकी उत्पादों पर अतिरिक्त सीमा शुल्क लगाया था.
सेब तथा अखरोट जैसे आठ अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क हटाने के भारत के फैसले के बाद अमेरिका अब अतिरिक्त 25 प्रतिशत और 10 प्रतिशत शुल्क का भुगतान किए बिना भारत से इन आयातों की अनुमति दे रहा है. अधिकारी ने बताया कि दोनों देश अतिरिक्त शुल्क चुकाए बिना एक वर्ष में कम से कम 3.36 लाख टन इस्पात तथा एल्यूमीनियम के कुछ उत्पादों के अमेरिका को घरेलू निर्यात को सक्षम बनाने के लिए एक संयुक्त निगरानी तंत्र स्थापित करने पर सहमत हुए हैं.
वाणिज्य विभाग ने अतिरिक्त शुल्क का भुगतान किए बिना अमेरिका को कुछ इस्पात और एल्यूमीनियम उत्पादों के घरेलू निर्यात को संभव बनाने के लिए संयुक्त निगरानी तंत्र (जेएमएम) के संबंध में शर्तों को अंतिम रूप दे दिया है और अमेरिका ने प्रस्तावित पाठ पर सहमति व्यक्त की है. अधिकारी ने कहा कि खान, इस्पात मंत्रालयों और डीपीआईआईटी से खासकर अमेरिकी 232 उपाय के तहत, अमेरिका में इस्पात तथा एल्यूमीनियम उत्पादों के निर्यात पर नजर रखने के लिए एक आंतरिक निगरानी तंत्र स्थापित करने का अनुरोध किया गया.
इसके तहत अधिकारी व्यवस्थाओं की समीक्षा के लिए वर्ष में दो बार बैठक करेंगे. यदि भारतीय निर्यातकों को किसी भी बाधा या समस्या का सामना करना पड़ा, तो वाणिज्य मंत्रालय को सूचित किया जाएगा और संयुक्त निगरानी तंत्र (जेएमएम) की बैठकों के दौरान अमेरिका के समक्ष उठाया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पिछले साल जून में यात्रा के दौरान दोनों देशों ने व्यापार संबंधी अड़चनों को दूर करने का फैसला किया था. इसके तहत ही दोनों पक्ष विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में छह व्यापार विवादों का निपटारा करने पर सहमत हुए थे.