बुनियादी ढांचे के विकास पर सरकार के जोर और हरित ऊर्जा की ओर बदलाव के कारण चालू वित्त वर्ष में भारत की परिष्कृत तांबे की मांग 11 फीसद बढ़ने की संभावना है. साख निर्धारिक एजेंसी इक्रा ने कहा है कि उसे देश के घरेलू क्षेत्र के लिए स्थिर परिदृश्य की उम्मीद है. एक बयान में कहा गया है कि इक्रा का अनुमान है कि तांबे की कीमतें निकट अवधि में 8,200-8,300/टन के मौजूदा स्तर पर सीमित रहेंगी. इसमें आगे कहा गया है कि पिछले केंद्रीय बजट में पूंजीगत व्यय के लिए 10 लाख करोड़ रुपये का आवंटन, राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी) के तहत निर्धारित महत्वाकांक्षी लक्ष्यों के साथ मिलकर, मध्यम अवधि में तांबे की खपत बढ़ने की संभावना है.
दूसरी ओर भारत ने वित्त वर्ष 2022-23 में तांबे के आयात पर 27,131 करोड़ रुपये खर्च किए हैं, जो कि एक साल पहले के 21,985 करोड़ रुपए से ज्यादा है. देश में तांबे के भंडार की कम उपलब्धता के कारण भारत हमेशा तांबे के अयस्क और सांद्रण का आयातक रहा है. राज्यसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कोयला और खान मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि पिछले दो वर्षों के दौरान प्रतिवर्ष शुद्ध आयात मूल्य (और इसलिए, शुद्ध विदेशी मुद्रा व्यय) वित्त वर्ष 2021-22 में 21,985 करोड़ रुपए है और वित्त वर्ष 2022-23 में 27,131 करोड़ रुपए है.
मंत्री ने बताया कि वित्त वर्ष 2022-23 में 5.55 लाख टन के परिष्कृत तांबे के उत्पादन के साथ भारत दुनिया में 10वां सबसे बड़ा उत्पादक है. पिछले दो वर्षों में आयात में उछाल, तांबे की रिफाइनिंग में बढ़ती मांग के कारण है, जो महामारी के बाद बढ़ती मांग को दर्शाता है, विशेष रूप से बुनियादी ढांचे, निर्माण, दूरसंचार, विद्युत, नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों जैसे उपयोगकर्ता क्षेत्रों में वृद्धि को दर्शाता है.