भारत में कॉपर की मांग में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. इंटरनेशनल कॉपर एसोसिएशन इंडिया यानी आईसीए इंडिया के द्वारा जारी एक अध्ययन के मुताबिक वर्ष 2023 भारत में कॉपर की मांग बढ़कर 15.22 लाख टन दर्ज की गई है, जबकि पिछले साल कॉपर की मांग 13.11 लाख टन थी. वित्त वर्ष 2021 में कोविड-19 महामारी की वजह से संकुचन के बाद लगातार दो साल तक मांग में दोहरे अंक में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
किन वजहों से बढ़ी मांग?
नीतिगत सुधारों, सार्वजनिक एवं निजी दोनों सेक्टर में निवेश के साथ ही भवन निर्माण, रेन्युएबल एनर्जी, इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, औद्योगिक अनुप्रयोगों, रेलवे और मेट्रो, पावर ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन और सफेद वस्तुओं समेत कई क्षेत्रों में उपभोक्ता खर्च में वृद्धि से कॉपर की मांग में इजाफा हुआ है. ऑटोमोबाइल, रेलवे और मेट्रो समेत परिवहन क्षेत्र के भीतर कॉपर की मांग में 34 फीसद की महत्वपूर्ण वृद्धि का श्रेय मुख्य रूप से रेलवे के विद्युतीकरण और आधुनिकीकरण, परिवहन सुविधाओं का विस्तार और इलेक्ट्रिक वाहनों समेत ऑटोमोबाइल की बिक्री में 21 फीसद की बढ़ोतरी को दिया जाता है.
प्रीमियन एवं मध्य आय वर्ग वाले आवास में प्रति वर्ग फुट कॉपर के बढ़ते उपयोग की वजह से कंस्ट्रक्शन सेक्टर में कॉपर की मांग में 11 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव स्कीम यानी पीएलआई ने भी कॉपर की मांग बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. गौरतलब है कि इंडस्ट्रियल सेक्टर में 1.7 लाख करोड़ रुपए का निवेश हुआ है, जिससे कॉपर की मांग में वृद्धि दर्ज की गई है.
महामारी की वजह से वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2022 में सुस्त रही कंज्यूमर ड्यूरेबल सेक्टर की मांग में अच्छी ग्रोथ दर्ज की जा रही है. आईसीए इंडिया के प्रबंध निदेशक मयूर करमरकर के मुताबिक भारत में कॉपर की मांग आर्थिक विकास और बुनियादी ढांचे के विकास से प्रेरित है. उनका कहना है कि 2035 तक शहरीकरण मौजूदा 36 फीसद से बढ़कर 43 फीसद होने का अनुमान है.
Published - October 30, 2023, 03:33 IST
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