वित्त वर्ष 2024-25 के लिए खाद्य सब्सिडी के मद में 2.05 लाख करोड़ रुपए का परिव्यय अनुमानित है जो चालू वित्त वर्ष के 2.12 लाख करोड़ रुपए के व्यय से कम है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को 2024-25 का अंतरिम बजट पेश करते हुए खाद्य सब्सिडी का अनुमान पेश किया.
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत सरकार खाद्यान्न की खरीद करती है. बाद में इस अनाज को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत बेचा जाता है. खरीद एवं बिक्री के बीच के अंतर की भरपाई के लिए खाद्य सब्सिडी प्रदान की जाती है.
इसके साथ ही वित्त मंत्री ने कहा कि अगले वित्त वर्ष में उर्वरक सब्सिडी 1.64 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है जो चालू वित्त वर्ष में 1.89 लाख करोड़ रुपये से कम है.
सरकार उर्वरक कंपनियों को उर्वरक पर सब्सिडी देती है। बाजार में बिकने वाली यूरिया का अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) सरकार तय करती है. उनके विक्रय मूल्य और उत्पादन की लागत के बीच के अंतर पर सब्सिडी दी जाती है. डीएपी और एमओपी जैसे गैर-यूरिया उर्वरकों पर भी पोषक तत्व आधारित सब्सिडी प्रदान की जा रही है.