Budget 2024: व्यापारी किशनपाल सरकारी बैंक के बाहर अपनी अर्जी लिए बैठे हैं. अर्जी कर्ज के पुर्नगठन की है. पीछे से पेमेंट में देरी हो रही है किस्त चूकने का खतरा है यही डर उन्हें बैंक की चौखट पर खींच लाया. नोएडा में किशनपाल की एक फैक्ट्री है. टीशर्ट बनती हैं उनकी फैक्ट्री में. बड़ी एक्सपोर्ट कंपनियां उन्हें ऑर्डर देती हैं. इधर छह महीने से नए ऑर्डर भी ढीले पड़ गए और पुराना पेमेंट भी. निर्यात की चटकन का असर किशनपाल की फैक्ट्री पर दिख रहा है. छोटे उद्योग तो वैसे ही मुनाफे की मेढ़ पर चलते हैं. जरा ऊंच नीच हुई तो व्यापार की गाड़ी रपक गई. उनके पास न बड़ी कंपनियों की तरह कीमत बढ़ाने की आजादी होती है न बाजार से पैसा जुटाने की. छोटे उद्योग तो सरकार, बैंक और बाजार के रहमोकरम पर ही हैं.
किशनपाल जैसे व्यापारी इस साल सरकार से तीन गारंटियां चाहते हैं. पहली, सस्ते कर्ज का जुगाड़ हो जाए. ब्याज दरें ऊंची हैं. कच्चे माल की महंगाई से लागत बेहाथ हो रही है. ऊंची लागत महंगे कर्ज के बाद मुनाफा निकाल पाना रुपए में तीन अठन्नी करने जैसा हो रहा है. किशनपाल चाहते हैं कोई सब्वेंशन स्कीम हमारे लिए आए.
दूसरी गारंटी निर्यात से जुड़े छोटे उद्योगों के लिए, दुनिया मंदी में धंस रही तो इसका असर हर जगह पड़ेगा. निर्यात से जुड़े उद्योगों को बचाने के लिए सरकार कोई राहत दे दे तो बढ़िया रहेगा. एक्सपोर्ट के लिए सस्ता कर्ज मिल जाए, बिना कुछ गिरवी रखे कर्ज मिल सके और फंसे हुए पेमेंट के चलते अगर कोई मोरेटोरियम (राहत) मिल जाए तो कहने ही क्या.
तीसरी गारंटी ईज ऑफ डुइंग बिजनेस की. फायर, लेवर, पॉल्युशन, ईपीएफओ समेत 30 से अधिक विभागों में कारोबारियों को हाजिरी देनी होती है. सरकार कुछ ऐसा कर दे कि कारोबारियों का सरकारी दफ्तरों में लगने वाला समय बच जाए.
किशनपाल को गारंटी देना क्यों जरूरी है? क्योंकि 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था का सपना बिना MSME पूरा होना असंभव है. देश के एक्सपोर्ट में करीब 45 फीसद हिस्सेदारी एमएसएमई की है. देश की जीडीपी में यह क्षेत्र 29 फीसद की हिस्सेदारी निभाता है यानी इनके जीते ही जीत है.