Loan against property: आज के माहौल में जब हर तरफ महामारी का प्रकोप है इमरजेंसी फंड की जरूरत कभी भी पड़ सकती है. अपनी संपत्ति पर लोन (LAP) लेना, कम समय में बड़ी रकम जुटाने के आम तरीकों में से एक हो सकता है. संपत्ति पर लोन लेना एक सुरक्षित तरीका है और इसका इस्तेमाल चिकित्सा या दूसरी आपात स्थितियों के लिए किया जा सकता है. ज्यादातर बैंक अनसिक्योर्ड पर्सनल लोन(personal loans) के मुकाबले इस तरह के लोन कम ब्याज दर पर ऑफर करते हैं. आमतौर कर्ज की रकम, लेने वाले की आय पर निर्भर करती है.
बैंक उतना ही लोन अप्रूव करता है जिससे लोन लेने वाले की ईएमआई उसकी महीने की आय के 60% से ज्यादा न हो, लेकिन मोरगेज लोन लेने से पहले आपको इन नौ जरूरी बातों को ध्यान में रखना चाहिए. नहीं तो आप परेशानी में फंस सकते हैं.
लोन लेने से पहले अलग अलग लेंडर्स द्वारा दी जाने वाली दरों की तुलना कर लें. इन लोन में आमतौर पर ज्यादा रकम और हाइअर टेन्योर शामिल होते हैं. अपनी रीसर्च को सिर्फ ऑफर की जा रही ब्याज दरों तक सीमित न रखें. दूसरे मापदंड जैसे कि फोरक्लोज़र शुल्क(foreclosure charges), प्रोसेसिंग शुल्क(processing fee), पूर्व भुगतान शुल्क(prepayment charges), देर से भुगतान का जुर्माना(late payment penalty) और कर्ज से मूल्य अनुपात(loan to value ratio) पर भी विचार किया जाना चाहिए.
अपने लोन पर ज्यादा फायदा उठाने से बचें क्योंकि इससे डिफ़ॉल्ट हो सकता है और आप अपनी संपत्ति गंवा सकते हैं. पहले आपको जितनी रकम की जरूरत हो उसकी जांच कर लें और तभी लोन लेने जाएं.
एलएपी(LAP) की रकम 5 लाख रुपये से 500 करोड़ रुपये तक हो सकती है, और कुछ खास मामलों में ये समय 20 साल या 25 साल तक भी जा सकता है. लोन टू वैल्यू (LTV) रेश्यो आम तौर पर संपत्ति के बाजार में चल रहे मूल्य के 50-60% तक सीमित होता है. लोन के लिए अप्लाई करने से पहले आपको प्रॉपर्टी की कीमत भी देख लेनी चाहिए.
प्रॉपर्टी पर लिए जाने वाले होम लोन पर कोई टैक्स बेनिफिट नहीं मिलता है, वहीं दूसरे लोन में इंट्रेस्ट के रीपेयमेंट पर हर साल 2 लाख रुपये तक का और मूलधन के रीपेयमेंट पर 1.5 लाख रुपये तक का टैक्स बेनिफिट मिलता है. इसलिए, लोन लेने के बाद भी आपकी टैक्स देनदारी वही रहती है. इसलिए, आपको अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग उसी के मुताबिक करनी चाहिए.
बैंक लोन की मंजूरी तभी देगा जब वो संपत्ति और उसके कागजों को लेकर आश्वस्त होगा. इसके अलावा, सह-मालिकों को भी लोन में हिस्सेदारी रखनी होगी और सभी मानदंडों को पूरा करना होगा. अगर आप अकेले मालिक हैं, तो लोन आसानी से मिल जाएगा. किसी और स्थिति में, ये पूरी तरह से बैंक पर निर्भर करेगा.
बैंक, प्रॉपर्टी पर लोन को मंज़ूरी देने से पहले बैकग्राउंड रिकॉर्ड जैसे लोन लेने वाले के पेमेंट-ट्रैक रिकॉर्ड(payment-track records), लोन लेने वाले की रीपेमेंट क्षमता(repayment ability), क्रेडिट स्कोर(credit score) और दूसरी चीजों की जांच करते हैं. इसलिए, अगर किसी पर पहले से लोन या मौजूदा देनदारियां हैं, तो दूसरे लोन के लिए उसकी एलिजीबिलिटी कम हो जाती है. इसलिए, नए एलएपी के लिए आवेदन करने से पहले इन बातों की जांच करें.
अगर कोलैट्रल(collateral) के तौर पर गिरवी रखी जा रही संपत्ति विवादित है तो आपके लोन के आवेदन को अस्वीकार किया जा सकता है. इसके अलावा संपत्ति के कागजात में ओनरशिप साफ तौर पर नहीं दिख रही तो भी बैंक लोन नहीं देगा. इसलिए लोन आवेदन करने से पहले प्रॉपर्टी से जुड़े सभी कागजातों को ध्यान से देख लें.
संपत्ति पर लोन 20 सालों तक के लंबे समय के लिए मिलता है और जल्दी ही इसका अप्रूवल हो जाता है.साथ ही आसान रीपेयमेंट के विकल्प भी मौजूद हैं. लोन अगेंस्ट प्रोपर्टी के लिए कागजी कार्रवाई भी आसान है. बैंक आमतौर पर 7-10 दिनों के अंदर लोन अप्रूव कर देते हैं और प्रक्रिया थोड़ी आसान होती है क्योंकि लोन लेने वाले की संपत्ति बैंक के पास ही होती है.
बैंक आपकी आय का विवरण, रीपेयमेंट की जांच, चल रहे लोन की मदद से आपकी रीपेयमेंट की क्षमता का मूल्यांकन करेगा. इसके अलावा कुछ बैंक लोन लेने वाले के आश्रितों की संख्या को भी ध्यान में रखते हैं, क्योंकि ज्यादा आश्रितों का मतलब रीपेयमेंट की क्षमता कम हो सकती है.
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