बिहार के मुजफ्फरपुर में रहने वाले प्रभात कुमार का व्यापार इन दिनों ठीक नहीं चल रहा है. महामारी के दौरान उन्हें पत्नी को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा. इलाज का खर्च 80 हजार तक आ गया. बचत या इमरजेंसी फंड नहीं होने की वजह से उन्होंने मेडिकल बिल को जमा करने के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया.
इमरजेंसी फंड की जरूरत
इन दिनों मेडिकल खर्च में तेजी से इजाफा हो रहा है. मध्यम वर्ग को इससे परेशानी हो रही है. इमरजेंसी फंड न होने की स्थिति में उसे क्रेडिट कार्ड का उपयोग करना पड़ता है. तो क्या आपको इमरजेंसी फंड तैयार नहीं करना चाहिए, भले ही आपके कार्ड का लिमिट कितना भी हो?
जानकारों की सलाह
Paisabazaar.com के सीनियर डायरेक्टर गौरव अग्रवाल का कहना है, ‘इमरजेंसी की स्थिति में क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया जा सकता है. हालांकि, इसके नकारात्मक परिणाम भी होते हैं.’ क्रेडिट कार्ड द्वारा प्राप्त राशि महज एक लोन होती है, जिसे आपको अधिक ब्याज देकर चुकाना होता है. थोड़ी अवधि में भले ही आपको राहत मिले, लेकिन इससे आपके कर्ज में बढ़ोतरी होती है. क्रेडिट कार्ड, बचत और निवेश का विकल्प नहीं हो सकता.
BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी का कहना है, ‘इमरजेंसी फंड उसे कहते हैं जिसे आप संकट के लिए जमा करके रखते हैं. जब आपको जरूरत होती है तब आप इसका उपयोग करते हैं. इससे आपकी तत्कालिक जरूरत पूरी होती है और संकट में कर्ज लेने से बचते हैं.’
अगर आप क्रेडिट कार्ड के बकाए का भुगतान करने में चूकते हैं, तो इसपर 23 से 49 फीसदी सालाना तक का अतिरिक्त चार्ज देना पड़ सकता है. अग्रवाल बताते हैं कि यदि आप न्यूनतम भुगतान राशि को भी देने में असमर्थ होते हैं, तो आपको 1,300 रुपए प्रति माह का लेट फीस देना होता है.
उनका कहना है कि कि इमरजेंसी फंड को लिक्विड विकल्पों में निवेश करना चाहिए. मतलब, जब चाहे तब आप उसे निकाल सकें. जो लोग मोबाइल और इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल करते हैं, वे ऊंचा रिटर्न देने वाले डिपॉजिट पर पैसा लगा सकते हैं.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।