जीवन अनिश्चितताओं से भरा है. वित्तीय संकट के समय में, इमरजेंसी में पैसों की जरूरत को पूरा करने के लिए लोन (loan) एक महत्वपू्र्ण तरीका है. सिक्योर्ड लोन बेहतर हैं क्योंकि ब्याज दरें अन-सिक्योर्ड लोन (loan) की तुलना में कम हैं और ग्राहक को इसके लिए अपनी संपत्ति बेचने की जरूरत नहीं है. यहां तीन बेहतरीन सिक्योर्ड लोन के ऑप्शन्स दिए गए हैं, जो फंड के आखिरी इस्तेमाल पर बिना किसी प्रतिबंधों के आते हैं.
गोल्ड लोन पैसे की जरूरत पर कई लोगों के लिए मुश्किल के वक्त बड़ी मदद करता है. खासकर उन लोगों के लिए जिनके पास स्थिर नौकरी नहीं है या जिनका क्रेडिट स्कोर कम है. सोने पर लोन पैसे जुटाने के लिए एक लोकप्रिय और जल्द हो सकने वाली प्रक्रिया है. गोल्ड लोन एक सिक्योर्ड लोन है और इसलिए, पर्सनल लोन के लिए ब्याज दरें कम होती हैं, जिससे यह एक पसंदीदा तरीका बन जाता है.
गोल्ड लोन आमतौर पर कम अवधि के लिए होते हैं, जैसे कि एक या दो साल. हालांकि कुछ मामलों में वे उस सीमा से ज्यादा भी सकते हैं. आरबीआई के नवीनतम दिशानिर्देशों के अनुसार, आप गिरवी रखे गए सोने के मूल्य का अधिकतम 90 फीसदी लोन राशि हासिल कर सकते हैं. महामारी के दौरान आम आदमी की मदद के लिए पहले की सीमा को 75 फीसदी से बढ़ा दिया गया है.
गोल्ड लोन लेने का एक बड़ा फायदा बैंकों या NBFC द्वारा दिया जाने वाला प्री-पेमेंट में लचीलापन है. गोल्ड लोन के भुगतान के 2 विकल्प हैं जो ज्यादातर बैंक दे रहे हैं – नियमित EMI के साथ गोल्ड लोन और ओवरड्राफ्ट सुविधा के साथ गोल्ड लोन.
हालांकि, कुछ बैंक और NBFC उधारकर्ताओं को केवल साल के अंत में केवल ब्याज चुकाने की अनुमति देते हैं और दूसरे साल के लिए लोन को रिन्यू करते हैं. उसे ईएमआई भी नहीं चुकानी पड़ती है. गोल्ड लोन के लिए ब्याज बैंड 7 से 12% के बीच होता है. SBI 7.75 से 8.50 प्रतिशत की ब्याज दर पर गोल्ड लोन दे रहा है.
अचल संपत्ति पर लोन देना बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा अत्यधिक पसंद किया जाता है. अचल संपत्ति के मामले में, अधिकतम लोन राशि संपत्ति के बाजार मूल्य के 70 फीसदी तक हो सकती है. लोन चुकाने की अवधि 15 से 20 साल तक हो सकती है. प्रॉपर्टी लोन के लिए ब्याज दरें 8 से 15 फीसदी के बीच अलग होती हैं.
बांड, शेयर, ईटीएफ, म्यूचुअल फंड, एनएससी, जीवन बीमा पॉलिसियां, केवीपी आदि के बदले सिक्योरिटीज पर लोन (एलएएस) की पेशकश की जाती है. लोन अवधि के दौरान, उधार देने वालों को गिरवी रखी गई सिक्योरिटीज पर रिटर्न प्राप्त होता रहेगा. लोन की राशि, उधार देने वाले के कोलेट्रल के रूप में गिरवी रखी गई सिक्योरिटी के जोखिम मूल्यांकन पर निर्भर करती है.
हालांकि, अगर आप मौजूदा फाइनेंशियल संकट के कारण शेयर गिरवी रखने पर विचार कर रहे हैं, तो यह एक प्रैक्टिकल ऑप्शन नहीं है.
अधिकांश बैंक सुरक्षा के मूल्य के 50 प्रतिशत से अधिक उधार नहीं देते हैं – खासकर अगर आप इक्विटी शेयरों या म्यूचुअल फंड यूनिट्स को कोलेट्रल के रूप में गिरवी रख रहे हैं – लोन की राशि के रूप में. इस प्रकार, अगर आप 5 लाख रुपए का लोन देख रहे हैं तो आपको 10 लाख रुपए के शेयर/एमएफ को गिरवी रखना होगा.
हालांकि, यदि आप लोन के लिए NSC, KVP या नॉन-कनवर्टेबल डिबेंचर जैसे साधन गिरवी रखते हैं, तो एक व्यक्ति लोन के रूप में इंस्ट्रूमेंट्स के वर्तमान मूल्य का 70% तक प्राप्त कर सकता है.
लेकिन लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियों और लोन निधि इकाइयों के लिए, लोन की राशि मूल्य के 80 प्रतिशत तक बढ़ जाती है. भारतीय स्टेट बैंक सिक्योरिटीज पर लोन पर 9.25 से 11.90 प्रतिशत ब्याज दर लेता है.
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