Tax Evasion: बतौर टैक्सपेयर अगर आप टैक्स की चोरी की है, तो इस गलती की कोई माफी नहीं है. टैक्स चोरी पर लगने वाली पेनल्टी कितनी होगी, ये फ्रॉड यानि गड़बड़ियों के अमाउंट पर निर्भर करती है. उदाहरण के लिए, इनकम टैक्स फाइल करने की आखिरी तारीख को 31 दिसंबर 2021 तक बढ़ा दिया गया है, अगर इस तारीख तक कोई इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल नहीं करता है, तो उसको पेनल्टी का सामना करना पड़ सकता है. जानिए उन दंड या हालातों के बारे में, जो टैक्स चोरी के प्रत्येक मामले में लगाए जा सकते हैं.
1961 के आयकर अधिनियम की धारा 139 की सब सेक्शन (1) के अनुसार, सभी टैक्सपेयर्स को हर फाइनेंशियल ईयर के लिए टैक्स फाइल की अवधि के दौरान अपना आयकर रिटर्न दाखिल करना होगा.
– किसी भी किसी भी कारण से अपना आयकर रिटर्न दाखिल करने में असफल रहते हैं, तो उस पर 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है.
ऐसे हालातों में में, असेसिंग ऑफिसर पेनल्टी का मूल्य भी निर्धारित कर सकता है, जो 5,000 रुपये से कम या उसके बराबर हो सकता है.
– काम पर रखने के समय, अधिकांश फर्म कर्मचारी का पैन कार्ड नंबर मांगती हैं. किसी कर्मचारी के वेतन से टीडीएस की कैलकुलेश करने के लिए इस जानकारी की आवश्यकता होती है.
अगर कर्मचारी के पास पैन कार्ड नंबर नहीं है तो कंपनी 10% टीडीएस के बजाय 20% टीडीएस काटेगी.
– अंडर-रिपोर्टिंग के कारण टैक्स फाइलिंग में गलती की जाती है, तो उस कमाई की राशि पर 50% का जुर्माना लगाया जाता है. इतना जुर्माना उस स्थिति में लगता है, जब वास्तव में गलती हुई है, जो टैक्स चोरी के इरादे से नहीं की गई थी.
अगर टैक्स से बचने के जानबूझकर गलती की गई थी, तो उस आय की राशि पर 200% का जुर्माना लगाया जाता है, जिसे कम करके बताया गया है.
– इनकम टैक्स रिटर्न में गड़बड़ी होने पर आयकर विभाग डिमांड नोटिस जारी कर सकता है. अगर ऐसा होता है, तो आईटी विभाग बकाया टैक्स की रकम का विवरण देते हुए एक डिमांड नोटिस भेजेगा.
डिमांड नोटिस का जवाब देने के लिए टैक्सपेयर के पास डॉक्यूमेंट प्राप्त होने की तारीख से 30 दिन का समय होता है. यदि आप जवाब नहीं देते और टैक्स नहीं चुकाते हैं तो जुर्माना लगाया जा सकता है.
– यदि कोई कंपनी धारा 44AB द्वारा जरूरी ऑडिट रिपोर्ट या ऑडिट रिपोर्ट पेश करने में विफल रहती है, तो उन्हें 1.5 लाख रुपये या अपने सालाना बिक्री कारोबार का 0.5%, जो भी अधिक हो, जुर्माना देना होगा.
– ये कुछ पेनल्टी हैं जो आयकर विभाग लगा सकता है और कुछ स्थितियों में ये काफी ज्यादा साबित हो सकते हैं. इसलिए सबसे अच्छी बात यह सुनिश्चित करना है कि सभी टैक्स का भुगतान समय पर किया जाए.
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