SBI Loan: लोन घोटाला मामले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) के पूर्व चेयरमैन प्रतीप चौधरी की गिरफ्तारी के बाद कई पूर्व बैंकरों ने नाराजगी व्यक्त की है. तो वहीं सरकार ने चौधरी की गिरफ्तारी के एक दिन बाद ही सख्त कदम उठाते हुए सही तरीके से कारोबारी निर्णय लेने वाले बैंककर्मियों के संरक्षण के उद्देशय से वित्त मंत्रालय ने 50 करोड़ रुपए तक के एनपीए वाले खातों के लिए समान कर्मचारी जवाबदेही वाला नियम लागू किया है.
हालांकि इन दिशानिर्देशों को अगले वित्तवर्ष से एनपीए में बदलने वाले खातों के लिए 1 अप्रैल 2022 से लागू किया जाएगा.
द इकोनॉमिक्स टाइम्स की खबर के मुताबिक इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) ने कहा कि वित्तमंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) ने 29 अक्टूबर के अपने आदेश में सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंकों (पीएसबी) द्वारा 50 करोड़ रुपए तक के एनपीए खातों के लिए कर्मचारी जवाबदेही नियम पर व्यापक दिशा निर्देशों को अपनाने की सलाह दी है. धोखधड़ी वाले खाते नए नियमों के दायरे से बाहर हैं.
क्या बोले SBI के पूर्व एमडी?
चौधरी की गिरफ्तारी को “बिल्कुल दयनीय” बताते हुए, एसबीआई के पूर्व उप प्रबंध निदेशक (एमडी), सुनील श्रीवास्तव ने ट्विटर का सहारा लिया और ट्वीट करते हुए कहा कि सच कहूं तो बिना किसी नोटिस और समन के दिल्ली में किसी दूसरे राज्य की पुलिस आकर किसी को कैसे गिरफ्तार कर सकती है.
क्या यह कानून की उचित प्रक्रिया है? एक पूर्व बैंकर का कहना है कि ऋण स्वीकृति में पारदर्शिता में सुधार और जवाबदेही शुरु करने के लिए न्यायिक प्रक्रियाओं में अब बदलाव की आवश्यकता है.
बैंकरों को किस चीज का सता रहा डर ?
हाल के दिनों में कानून प्रवर्तन एजेंसियां की कार्रवाई ने बैंकरों के मन में यह डर पैदा कर दिया है कि उनके द्वारा स्वीकृत किए गए ऋणों में चूक के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाएगा.
बैंकरों की इस चिंता से आशंका जताई जा रही है कि आगे ऋण स्वीकृति के मामलों में गति धीमी हो सकती है. पहले इसी तरह के मामलों के चलते वित्त वर्ष 2020 की तुलना में वित्त वर्ष 2021 में ऋण वृद्धि के मामले में 5 फीसदी की कमी आई है.
क्या है मामला?
दरअसल एसबीआई के पूर्व चेयरमैन प्रतीप चौधरी को जैसलमेर सदर पुलिस ने लोन घोटाला मामले में दिल्ली में उनके घर से रविवार को गिरफ्तार किया है. रिपोर्ट के अनुसार, मामला एक प्रॉपर्टी से जुड़ा है, जो गोदावन समूह के पास थी.
गोदावन समूह की 200 करोड़ की प्रॉपर्टी को 24 करोड़ में बेचा गया था. गोदावन समूह ने कथित तौर पर एक होटल के निर्माण के लिए 2008 में एसबीआई से 24 करोड़ का लोन लिया था, जबकि उस समय फर्म का दूसरा होटल वहीं चल रहा था.
जब गोदावन समूह लोन नहीं चुका सकी तो उसने गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) का सहारा लिया. तब बैंक ने गोदावन समूह के दोनों होटलों को जब्त कर लिया और उन्हें एल्केमिस्ट एआरसी कंपनी को 25 करोड़ में बेच दिया.
इस दौरान प्रतीप चौधरी एसबीआई के चेयरमैन थे. जब पता चला कि यह एल्केमिस्ट एआरसी कंपनी भाग गई तो गोदावन ग्रुप ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. बता दें कि एल्केमिस्ट एआरसी कंपनी ने दोनों होटलों को 2016 में लिया था.
साल 2017 में जब इसका मूल्यांकर हुआ तो पता चला कि संपत्ति का बाजार मूल्य 160 करोड़ रुपए था. रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में इस प्रॉपर्टी की कीमत 200 करोड़ आंकी गई है. बता दें चौधरी एसबीआई से सेवानिवृत्ति के बाद एल्केमिस्ट कंपनी में में एक निदेशक के रूप में शामिल हो गए थे.
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