UPI और डिजिटल लेनदेन की बढ़ती लोकप्रियता के बावजूद, हमारे देश में ATM, बड़ी संख्या में लोगों के लिए बैंकिंग लेनदेन का सबसे पसंदीदा स्थान बना हुआ है. वास्तव में ये 24X7 मशीनें बैंक ब्रांच के ऑप्शन में बदल गई हैं. कैश निकालने के लिए अब कोई भी बैंक नहीं बल्कि नजदीकी ATM जाता है.
ATM उद्योग संघ ने RBI से कहा है कि 10 घंटे या उससे ज्यादा समय तक ATM में कैश नहीं होने पर उसे 10,000 रुपये जुर्माना देना होगा. ऐसी स्थिति में उन्हें दूर-दराज के इलाकों में मशीनों को बंद करना पड़ सकता है. यह पूरी तरह से खतरा है और बैंकिंग नियामक को ब्लैकमेल करने की कोशिश है. ATM को जितनी जल्दी हो सके कैश देना होगा क्योंकि खाली छोड़ने से उसके होने का उद्देश्य विफल हो जाएगा. डिजिटल और ऑनलाइन भुगतान पर जोर देने के बावजूद, पिछले कई महीनों में अर्थव्यवस्था में कैश का उपयोग बढ़ा है. हालांकि RBI को इस खतरे से पहले झुकना नहीं चाहिए लेकिन कम से कम पेनल्टी स्ट्रक्चर के बारे में सोचा जा सकता है.
ATM को कैश आपूर्ति पॉइंट से उसकी दूरी के हिसाब से बांटना चाहिए. दूरी को देखकर थोड़ी नरमी पर विचार किया जा सकता है. जो ATM दूर-दराज के इलाकों में हैं, उन्हें कैश न होने पर कम पेनल्टी की परमिशन दी जा सकती है. जो थोड़ा पास हैं उन्हें छोटी आउटेज अवधि की अनुमति दी जा सकती है लेकिन जो शहरों में है उन्हें 10 घंटे से ज्यादा की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. इसके अलावा ATM और कैश आपूर्ति पॉइंट के बीच कट ऑफ दूरी, बैंकिंग नियामक और ATM एसोसिएशन के बीच चर्चा के जरिए तय की जा सकती है.
मौजूदा आदत के अनुसार 42% ग्रामीण ATM में सप्ताह में एक बार कैश डाला जाता है जबकि 20% को सप्ताह में दो बार लोड किया जाता है. बाकी में हर दूसरे दिन कैश डाला जाता है. एसोसिएशन ने कहा है कि कुछ बैंकों ने पहले ही ATM का रखरखाव करने वाली संस्थाओं से जुर्माना वसूलना शुरू कर दिया है और इससे उन्हें नुकसान हो रहा है. इस नियम को आगे बढ़ाने से कुछ ATM बंद हो जाएंगे जिससे बहुत सारे लोगों को परेशानी होगी. नकदी डालने का यह फॉर्मूला लोगों के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाला है. ‘वन पेनल्टी फिट्स ऑल’ से बाहर निकलने का रास्ता हो सकता है.