Retail Loans: रिटेल लोन ने पहली बार कॉर्पोरेट लोन को पीछे छोड़ दिया है. Retail Loans आउटस्टैंडिंग 30 जुलाई तक 28.58 ट्रिलियन रुपये थी, जबकि इंडस्ट्रीज को दिया लोन 28.24 ट्रिलियन रुपये पर था. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के आंकड़ों से ये जानकारी सामने आई है. कॉरपोरेट लोन के आकार को देखते हुए, उनका कुल बकाया अब तक हमेशा रिटेल लोन से अधिक रहता था. मिंट ने इसे लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की है.
पिछले एक साल में कंपनियों में लोन की भूख कम दिखी है, वहीं लोगों (individuals) ने कम ब्याज दरों का लाभ उठाने के लिए जमकर उधार लिया है. रिटेल लोन आउटस्टैंडिंग एक साल पहले की तुलना में 30 जुलाई तक 11.2% बढ़ गई है.
ज्यादातर लोग गोल्ड और पर्सनल लोन का विकल्प चुन रहे हैं. आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि गोल्ड लोन 77.4% बढ़कर 62,412 करोड़ रुपये हो गया है.
कंपनियों को दिया कर्ज एक साल पहले की तुलना में 30 जुलाई तक 1% बढ़ा है. बड़े व्यवसायों (large businesses) की बात करें तो लोन 2.9% तक सिकुड़ गए हैं.
एक वरिष्ठ बैंकर ने कहा, ‘फैक्ट्रियों में कैपेसिटी यूटिलाइजेशन (क्षमता उपयोग) अभी तक पूर्व-कोविड स्तर तक नहीं पहुंच पाया है. इस वजह से क्रेडिट डिमांड कम है.’
केयर रेटिंग्स ने 1 सितंबर की रिपोर्ट में कहा, ओवरऑल नॉन फूड क्रेडिट ग्रोथ (समग्र गैर-खाद्य ऋण वृद्धि) को जुलाई महीने के दौरान एग्रीकल्चर और इससे जुड़ी गतिविधियों और रिटेल सेगमेंट ने ड्राइव करना जारी रखा.
इंडस्ट्री और सर्विस सेगमेंट में धीमी वृद्धि ने ओवरऑल क्रेडिट ग्रोथ को प्रतिबंधित किया.
केयर रेटिंग्स के अनुसार, लो बेस इफेक्ट, इकोनॉमिक एक्सपेंशन, ECLGS या सॉवरेन-गारंटिड लोन सपोर्ट और रिटेल क्रेडिट पुश के साथ FY22 में ओवरऑल क्रेडिट ग्रोथ 7.5% से 8% के बीच रहने की उम्मीद है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘मध्यम अवधि की संभावनाएं कम कॉर्पोरेट तनाव और बैंकों में बढ़े हुए प्रावधान स्तरों (provisioning levels) के साथ आशाजनक दिखती हैं. इंडस्ट्री और सर्विस सेगमेंट की तुलना में रिटेल लोन सेगमेंट के अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है.’
बैंकरों का मानना है कि जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था दूसरी कोविड-19 लहर के झटके से उबरेगी, सितंबर और दिसंबर की तिमाहियों में बेहतर कॉर्पोरेट ऋण वृद्धि देखने को मिलेगी.
पंजाब नेशनल बैंक के चीफ एग्जीक्यूटिव एस.एस. मल्लिकार्जुन राव ने 3 अगस्त को विश्लेषकों से कहा था, ‘मैं देख रहा हूं कि दूसरी या तीसरी तिमाही के अंत से कॉरपोरेट क्रेडिट की मांग बढ़ेगी, क्योंकि कई कंपनियां आगे निवेश करके अपनी क्षमता उपयोग बढ़ाने जा रही हैं.’
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