बुरे वक्त के साथ मौके भी पैदा होते हैं. हमारे बचपन में ये बात हमें बताई गई है. देश मौजूदा वक्त में जिस आर्थिक सुस्ती से गुजर रहा है उसमें भी ऐसे ही मौके पैदा हुए हैं. इसमें एक अवसर होम लोन (home loan) का बोझ कम करने का भी है. ज्यादातर परिवारों के लिए ये सबसे बड़ा बोझ होता है. होम लोन (home loan) की दरें अब ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर पर चल रही हैं. देश के करीब 20 बैंक और संस्थान 7 फीसदी से भी कम रेट पर लोन ऑफर कर रहे हैं.
कई होम लोन बौरोअर्स के लिए ये एक बड़ा मौका है कि वे अपने कर्ज के दायित्व को कम कर सकें. लोग होम लोन रीफाइनेंस का सहारा ले सकते हैं जिसका मतलब एक नया लोन लेना है जो कि सस्ता होता है. इसके जरिए आप अपना पुराना लोन चुका सकते हैं. इसमें आपको नए लोन के लिए बैंक या वित्तीय संस्थान को बदलना पड़ सकता है.
हालांकि, रीफाइनेंस के कुछ नियम हैं. एक्सपर्ट्स की सलाह है कि नए और पुराने लोन की ब्याज दर के बीच कम से कम आधा फीसदी का अंतर होना चाहिए. अगर ऐसा नहीं होगा तो रीफाइनेंस की पूरी प्रक्रिया करने का कोई फायदा नहीं होगा.
नए बैंक या वित्तीय संस्थान से लोन की रीफाइनेंसिंग के लिए संपर्क करने से पहले आपको ये बातचीत कर लेनी चाहिए कि क्या वो आपको कम दर पर लोन देने को तैयार है या नहीं. रीफाइनेंसिंग में काफी पेपरवर्क होता है और ऐसे में नया संस्थान आपसे तगड़ी प्रोसेसिंग फीस ले सकता है. अगर आपका मौजूदा बैंक आपके लोन की ब्याज दर कम करने को तैयार हो तो लोन स्विच करने की कोई जरूरत नहीं है.
एक्सपर्ट ये भी सलाह देते हैं कि उधार लेने वालों को आदर्श तौर पर अपनी पुरानी वाली EMI ही चुकाते रहना चाहिए. इससे आपका लोन जल्द ही खत्म हो जाएगा. इससे आपकी सेविंग्स भी होंगी.
रीफाइनेंसिंग में एक और बात याद रखने वाली है कि ये लोन टेन्योर के पहले आधे टेन्योर के लिए ज्यादा सही साबित होती है. इस दौरान आप अपने EMI का ज्यादातर हिस्सा ब्याज के तौर पर देते हैं.
अगर ब्याज दर कम होगी तो सेविंग बढ़ जाएगी और इससे फायदा होगा. ऐसे में अगर आपका होम लोन शुरुआती वर्षों में है तो रीफाइनेंसिंग कराना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है.
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