कोरोना काल की पाबंदियों से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित होने के चलते बैंकों द्वारा दिया गया कर्ज फंसने के मामलों में बढ़ोतरी हो सकती है. इसे देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों का फंसा कर्ज यानी नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (NPA) बढ़ने को लेकर आगाह किया है.
9.8% पर जा सकता है GNPA
रिजर्व बैंक ने अपनी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी (FSR) रिपोर्ट में कहा है कि मार्च 2022 में बैंकों का ग्रॉस एनपीए (GNPA) बढ़कर 9.8 फीसदी तक जा सकता है. सरकारी बैंकों के लिए यह दिक्कत और भी बड़ी हो सकती है क्योंकि उनका NPA मार्च 2022 में 12.52 फीसदी पर जा सकता है. यही नहीं, अगर बैंकों के एसेट्स (संपत्तियों) पर दबाव बढ़ता है या गंभीर होता है, तो उनका NPA बढ़कर 11.22% तक जा सकता है. बीते वित्त वर्ष की समाप्ति यानी मार्च 2021 के अंत तक बैंकों का ग्रॉस NPA 7.48 फीसदी पर था.
बैंकों के पास है पर्याप्त पूंजी
रिजर्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, मैक्रो स्ट्रेस टेस्ट यानी वृहद दबाव परीक्षण से यह संकेत मिलता है कि बैंकों का ग्रॉस NPA सामान्य हालात में मार्च 2021 के 7.48 फीसदी के स्तर से बढ़कर 9.80 फीसदी तक जा सकता है. हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस NPA में बढ़ोतरी की स्थिति से निपटने के लिए बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी मौजूद है.
इससे पहले जनवरी में RBI की ओर से जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) में बैंकों का ग्रॉस NPA सितंबर 2021 तक 13.5 फीसदी जाने की आशंका जताई गई थी, जो कि 22 साल में सबसे ऊंचा स्तर होता.
किसी भी कर्ज को NPA तब माना जाता है, जब अदायगी की तारीख से 90 दिनों से अधिक समय तक उसकी किस्त का भुगतान न किया जाए.
बैंकों के पास मौजूद है पर्याप्त पूंजी
रिजर्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दबाव की स्थिति में भी बैंकों के पास कुल मिलाकर (ग्रॉस) और अपने-अपने (इंडिविजुअल) स्तर पर पर्याप्त पूंजी मौजूद है. इससे पता चलता है कि महामारी के वक्त बैंकों की मजबूती बनाए रखने में उठाए गए नियामकीय कदमों (रेगुलेटरी सपोर्ट) ने अहम भूमिका निभाई है.
कोविड का दिख रहा असर
RBI ने अपनी रिपोर्ट में जिक्र किया है कि कोविड-19 ने वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम को बढ़ा दिया है. यह जोखिम बैंकिंग को सहारा देने के लिए सरकार की ओर से किए जाने वाले उपायों को वापस लेने पर और भी बढ़ जाता है.
महामारी के तनाव परीक्षण परिणामों पर प्रकाश डालते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर में केंद्रीय बैंक “आर्थिक सुधार बाधित होने और वित्तीय अनिश्चितता की आशंकाओं को लेकर चिंतित हैं.”
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने जून 2020 के अपने विश्लेषण में बैंकों पूंजी का पूंजी स्तर मजबूत होने की बात कही थी, हालांकि इसके बावजूद वहां काफी आर्थिक अनिश्चितता देखने को मिली थी.
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