लो-इंटरेस्ट रेट के इस युग में RBI के फ्लोटिंग रेट सेविंग बॉन्ड (floating rate saving bonds) एक ऐसा इंस्ट्रूमेंट है जो अपेक्षाकृत हाई और सिक्योर रिटर्न देता है. ये बॉन्ड (bonds) भारत सरकार द्वारा ऑफर किए जाते हैं और इन पर 7.15% इंटरेस्ट रेट मिलता है. जुलाई 2020 से ये मिल रहे हैं. अगर आप कम जोखिम वाले निवेशक हैं और सुरक्षित रिटर्न चाहते हैं तो आप इन बॉन्ड्स में पैसे लगा सकते हैं.
आपका निवेश कैसे काम करेगा, इसे समझने के लिए यहां 9 पॉइंट दिए गए हैंः
ब्याज दर (इंटरेस्ट रेट)
इन बॉन्ड (bonds) की मौजूदा ब्याज दर 7.15% है, जो PPF और किसी भी बैंक में 5-10 साल की अवधि के लिए किए गए FD से ज्यादा है.
आम तौर पर, बॉन्ड (bonds) में ब्याज की एक फ्लोटिंग दर होती है जो नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) की ब्याज दर से 0.35% या 35 बेसिस पॉइंट अधिक होती है. NSC पर ब्याज दर 6.8% है.
सरकार तिमाही आधार पर ब्याज दर में बदलाव कर सकती है. यदि NSC की ब्याज दर कम हो जाती है, तो इन बांडों पर ब्याज दर अपने आप कम हो जाएगी.
लॉक-इन पीरियड
सीनियर सिटीजन की कैटेगरी के लिए समय से पहले प्रीमैच्योर रिडेंम्पशन की अनुमति दी जाएगी.
60 से 70 साल के बीच के लोग 6 साल बाद विद्ड्रॉ कर सकते हैं; 70 से 80 वर्ष के बीच, 5 साल के बाद और 80 से अधिक उम्र के लोग 4 साल बाद समान ब्याज दर का लाभ उठाकर जमा राशि विद्ड्रॉ कर सकते हैं.
कहां से खरीदें
बॉन्ड लेजर अकाउंट के रूप में बॉन्ड (bonds) के लिए एप्लीकेशन SBI और किसी भी अन्य PSU बैंकों, IDBI बैंक, एक्सिस बैंक, HDFC बैंक और ICICI बैंक की नामित शाखाओं में ली जाएगी.
बॉन्ड केवल इलेक्ट्रॉनिक रूप में जारी किए जाएंगे और रिसीविंग ऑफिस के साथ खोले गए बॉन्ड लेजर अकाउंट में होल्डर के क्रेडिट पर रखे जाएंगे.
निवेश की सीमा
RBI फ्लोटिंग रेट बॉन्ड (bonds) में न्यूनतम निवेश राशि 1,000 रुपये है और उसके बाद 1,000 रुपये के मल्टीपल में कितनी भी राशि निवेशित की जा सकती है. इसकी कोई अधिकतम सीमा नहीं है.
लेकिन, अगर आप कैश में निवेश करते हैं तो 20,000 रुपये की कैप है. ड्राफ्ट, चेक, या किसी अन्य इलेक्ट्रॉनिक मोड के जरिए कितना भी पैसा डाला जा सकता है.
फ्लोटिंग ब्याज दर
बॉन्ड (bonds) में ब्याज की एक फ्लोटिंग दर होती है जिसे हर 6 महीने में 1 जनवरी और अगले जुलाई को हर साल रीसेट किया जा सकता है.
बॉन्ड से ब्याज का भुगतान निवेशकों को समय-समय पर किया जाता है और संचयी ब्याज (cumulative interest) का कोई विकल्प नहीं होता है.
भुगतान
बॉन्ड (bonds) से भुगतान हर साल 1 जनवरी और 1 जुलाई को छठे वर्ष तक होल्डर के सेविंग अकाउंट में किया जाता है. टेन्योर के अंत में, यानी 7 साल बाद, पिछले साल के ब्याज और बोनस के साथ पूरी राशि, यदि कोई हो, उसी सेविंग अकाउंट में जमा की जाएगी.
टैक्स कंप्यूटेशन ( टैक्स की गणना)
इन बॉन्ड (bonds) पर ब्याज इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के तहत टैक्स दायरे में आएगा. बॉन्ड होल्डर के टैक्स स्लैब के हिसाब से उसे टैक्स चुकाना होगा. लेकिन, ये बॉन्ड, वेल्थ टैक्स एक्ट, 1957 से मुक्त हैं.
कौन खरीद सकता है
ज्वॉइंट होल्डर और हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) सहित कोई भी व्यक्ति इन बॉन्ड्स में निवेश करने के लिए योग्य हैं. NRI इसमें निवेश नहीं कर सकते.
लिमिटेशंस
इन बॉन्ड्स (bonds) की सेकेंडरी मार्केट में ट्रेडिंग नहीं की जा सकती है. साथ ही बैंकों, वित्तीय संस्थानों, NBFC आदि से लोन के लिए गिरवी रखने के रूप में भी इनका इस्तेमाल नहीं हो सकता है.
BLA के रूप में बॉन्ड, होल्डर की मृत्यु के मामले में नॉमिनी या कानूनी उत्तराधिकारी को छोड़कर किसी और को ट्रांसफर नहीं होंगे.
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