सरकारी बैंकों के निजीकरण की प्रोसेस में स्वामित्व परिवर्तन के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की ओर से किसी तरह के एक्सेप्शन की संभावना नहीं है. इसके बजाय, RBI व्यापक दिशानिर्देश जारी करेगा जो भारतीय उधारदाताओं के कॉर्पोरेट स्वामित्व से भी डील करेगा. टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसे लेकर एक रिपोर्ट पब्लिश की है.
टीओआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि RBI जल्द ही नए नॉर्म्स की प्रोसेस शुरू करेगा, लेकिन कॉरपोरेट घरानों को बैंकिंग बिजनेस में अनुमति देने पर फैसला लेना अभी बाकी है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस मुद्दे पर लोग बंटे हुए हैं.
वर्तमान नॉर्म्स में कॉरपोरेट घरानों को बैंकिंग बिजनेस में प्रवेश करने की अनुमति नहीं हैं. हालांकि, बिरला और टाटा जैसे बड़े बिजनेस हाउस की फाइनेंशियल सर्विसेज में उपस्थिति है. ऐसे में भविष्य में इनकी बैंकिंग में या तो हिस्सेदारी हासिल करने या बैंक स्थापित करने में रुचि हो सकती है.
RBI की ओर से स्थापित एक इंटरनेल ग्रुप ने कई महीने पहले बैंकों के लिए एक नई लाइसेंसिंग नीति प्रस्तुत की थी, लेकिन नियामक ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई फैसला नहीं किया है. ऐसा इसलिए क्योंकि RBI को हितधारकों से कई इनपुट मिले हैं.
केंद्र और RBI ने उन विधायी संशोधनों पर सहमति व्यक्त की है जो बैंकों के निजीकरण का मार्ग प्रशस्त करने के लिए आवश्यक हो सकते हैं. नीति आयोग ने इस वित्त वर्ष में प्राइवेटाइजेशन के लिए तीन बैंकों का चयन किया है.
सबसे पहले IDBI बैंक के प्राइवेटाइजेशन की उम्मीद है. इसके बाद इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया पाइपलाइन में हैं.
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