देश में फर्जी कॉल सेंटरों की संख्या बढ़ती जा रही है. इसी के साथ बढ़ते जा रहे हैं स्कैम. माइक्रोसॉफ्ट के हालिया सर्वे के मुताबिक, भारत के टेक टैलेंट का इस्तेमाल कर देश को स्कैम्स का केंद्र बनाया जा रहा है. हर 10 में से सात लोग किसी ना किसी रूप में टेक फ्रॉड का शिकार हो रहे हैं. क्यों आसानी से धोखा खा जा रहे हैं भारतीय, जानते हैं नौ वजहें :
1. आसानी से यकीन कर लेना कॉल, टेक्स्ट, ईमेल के जरिए होने वाले फ्रॉड की गिनती दिन-पर-दिन बढ़ते जाने का एक कारण यह है कि अनजान नंबरों से आनी वाली कॉल पर हम भरोसा कर लेते हैं. सर्वे में शामिल लोगों में से 47 फीसदी का मानना था कि कंपनियां फोन, मेसेज के जरिए उनसे संपर्क कर सकती हैं. वह ज्यादा सोचते नहीं कि यह असल कॉल है या कोई स्कैम.
2. गलती से सबक नहीं ले पाना एक ही तरह के फर्जीवाड़े में हम बार-बार फंसते चले जाते हैं. सर्वे में पाया गया कि करीब 48 प्रतिशत रेस्पॉन्डेंट लगातार स्कैम में उलझते चले गए. तब तक, जब तक उन्हें बड़ी चपत नहीं लग गई.
3. तकनीकी समझ में कमी देश की ज्यादातर आबादी फिलहाल या तो टेक्निकल चीजों से अनजान है या नौसीखिया है. फोन चलाने के आगे अन्य पहलुओं की अधिकतर को जानकारी नहीं. सॉफ्टवेयर और कमांड्स जैसी चीजों को समझने में हमें समय लगता है. ऐसे में डिजिटल पेमेंट जैसे जरियों से इन्हें आसानी से बेवकूफ बनाया जाता है. सर्वे के मुताबिक, करीब 48 फीसदी लोगों के साथ बैंक ट्रांजैक्शन के समय धोखा हुआ.
4. हद से ज्यादा आत्म विश्वास तकनीकी समझ ज्यादा नहीं होने के बावजूद ज्यादातर का मानना है कि वे इस मामले में हाई स्किल रखते हैं. सर्वे में हर आयु वर्ग के लोगों ने खुद को कंप्यूटर की शिक्षा में उच्च स्थान पर रखा.
5. युवाओं का ऑनलाइन समय बिताना हर वक्त ऑनलाइन रहने वाली युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा स्कैम का शिकार हो रही है. आंकड़ों के मुताबिक, देश में 58 प्रतिशत मिलेनियल और 28 फीसदी जेन जी वाले धोखाधड़ी का शिकार होते रहते हैं, वह भी बार-बार.
6. कोरोना काल में हुई घरबंदी कोरोना महामारी के चलते टेक्नॉलजी पर निर्भर होने को अचानक मजबूर हुई आबादी के लिए सारे काम इंटरनेट पर जा टिके हैं. ऑफिस, स्कूल, कॉलेज, सब ऑनलाइन चल रहे हैं. इसका फायदा उठाते हुए भी हैकर और स्कैमर डिजिटल सिस्टम में घुसकर निजी जानकारियां चोरी करने में लगे हैं. इनका इस्तेमाल फिर ठगी के लिए कर रहे हैं.
7. नौकरी की आस इसी के साथ महामारी के चलते नौकरी खोने वालों की लाचारी का फायदा भी उठा ले जा रहे हैं स्कैमर. दिसंबर 2020 में सामने आए कई मामलों में पाया गया कि जॉब का वादा कर कइयों के साथ ऑनलाइन धोखा हुआ. नौकरी पक्की करने के नाम पर कुछ पैसे मांगे गए, और हर हाल में नौकरी पाने को परेशान लोगों ने उस रकम को चुकाया भी. उसके बाद पता चला कि ऐसी कोई कंपनी है ही नहीं, जिससे ऑफर आया था.
8. हनी ट्रैप माइक्रोसॉफ्ट का सर्वे बताता है कि स्कैमर्स के संपर्क में आने वाले 73 प्रतिशत पुरुष तब तक उनसे जुड़े रह जाते हैं, जब तक कि उनके पैसे ऐंठ ना लिए जाएं. प्यार के जाल में फंसाकर कई ऑनलाइन धोखे होते हैं उनके साथ.
9. हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर अपडेट पर ध्यान ना देना कम ही लोग हैं जो इस बात पर भी गौर करते हैं कि कंप्यूटर, फोन को समय-समय पर अपडेट और चेक करते रहना चाहिए. ऑनलाइन फ्रॉड करने वाले से हो सकता है कि हम एक बार बच गए, मगर गारंटी नहीं कि वह हमारे सिस्टम को आगे एक्सेस नहीं कर पाएंगे. वेबसाइट पर अचानक आ जाने वाले विज्ञापनों और उनपर बनी लिंक पर क्लिक कर के हम स्कैमर्स के लिए अपने सिस्टम का रास्ता खोल देते हैं. यह तब तक खुला रहता है, जब तक सिस्टम की मरम्मत ना की जाए. हालांकि, बुरी चोट खा चुके लोग इसे लेकर सचेत रहे हैं. माइक्रोसॉफ्ट के सर्वे के मुताबिक, 2021 में अब तक फ्रॉड का शिकार हुए करीब 82 फीसदी लोग अब समय-समय पर कंप्यूटर को चेक करने और एक्सपर्ट से उन्हें ठीक कराने पर जोर देने लगे हैं.
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