NPA: राज्य के स्वामित्व वाले बैंक अगले दो सालों में फ्रेश नॉन-परफॉरमिंग लोन देख सकते हैं, जो हर वर्ष उनके ग्रॉस लोन पोर्टफोलियो का 1.5% हो सकता है. इसमें से ज्यादातर नॉन-परफॉरमिंग लोन स्मॉल इंटरप्राइजेज को दिए गए लोन की वजह से होंगे. हालांकि बैंकिंग सिस्टम इसे झेलने में सक्षम होगा, क्योंकि पुराने बैड लोन (NPA) के मामलों को हल किया जा रहा है. मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस के हवाले से इकोनॉमिक टाइम्स ने ये जानकारी दी है.
ग्लोबल रेटिंग कंपनी ने हालांकि मार्च 2021 के अंत में पूरे बैंकिंग इंडस्ट्री के लिए ग्रॉस एनपीए में 9.4% से मार्च 2023 तक 9% की गिरावट का अनुमान लगाया है. कंपनी के मुताबिक क्रेडिट ग्रोथ में बढ़ोतरी फ्रेश बैड लोन के एडिशन की भरपाई करेगी.
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि भारत की कोरोनावायरस की दूसरी लहर बैंकों के एसेट रिस्क को बढ़ा रही है, लेकिन देश की इकोनॉमिक रिकवरी, लोन अंडरराइटिंग क्राइटेरिया का कड़ा होना और सरकार का लगातार समर्थन समस्या वाले लोन में शार्प स्पाइक (तेज वृद्धि) को रोकेगा.
रेटिंग कंपनी की वाइस प्रेसिडेंट और सीनियर क्रेडिट ऑफिसर अलका अनबारसु ने कहा, ‘वायरस के प्रकोप से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए छोटे व्यवसाय और व्यक्ति (Individual) की वजह से खास तौर पर न्यू लोन इम्पेयरमेंट (नए ऋण हानि) में अपेक्षित वृद्धि हो सकती है.
इसके बावजूद बैंक एसेट क्वालिटी में गंभीर गिरावट की संभावना नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘सरकार की पहल जैसे कि आपातकालीन क्रेडिट लिंक्ड गारंटी योजना व्यवसायों के लिए तत्काल तरलता प्रदान करने में प्रभावी रही है.’
मूडीज ने कहा कि अकोमोडेटिव इंटरेस्ट रेट्स (Accommodative interest rates) और लोन रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम्स (loan restructuring schemes) परिसंपत्ति जोखिम (asset risks) को कम करती रहेंगी. कोरोना वायरस पुनरुत्थान (coronavirus resurgence) में देरी होगी, लेकिन बैंकों की बैलेंस शीट में सुधार पटरी से नहीं उतरेगा जो महामारी से पहले शुरू हो गया था.
मूडीज ने कहा कि उसने जिन बैंकों को रेट किया है उनके पास स्ट्रॉन्ग लॉस एब्जॉर्बिंग बफर्स (नुकसान से उबरने की तैयारी) है. ये उन्हें एसेट क्वालिटी में गिरावट का सामना करने और अपनी क्रेडिट स्ट्रेंथ बनाए रखने में मदद करेंगे.
बैंकों ने पिछले एक साल में पूंजी में वृद्धि, लोन-लॉस रिजर्व और लाभप्रदता (प्रॉफिटेबिलिटी) के माध्यम से इन बफ़र्स को मजबूत किया है.
2020 से, सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के रेटेड बैंकों ने बाजार से इक्विटी कैपिटल में लगभग 64000 करोड़ रुपये जुटाए हैं. इससे उनके एवरेज इक्विटी टियर 1 रेश्यो में लगभग 150 बेसिस पॉइंट्स की वृद्धि हुई है.
पिछले तीन वर्षों में प्रॉब्लम लोन्स के सापेक्ष में बैंकों के लोन-लॉस रिजर्व्स में वृद्धि हुई है, क्योंकि उनके प्रोविजन नए प्रॉब्लम लोन्स की तुलना में तेजी से बढ़े हैं.
पर्सनल फाइनेंस पर ताजा अपडेट के लिए Money9 App डाउनलोड करें।