Nomination in Investments: जब भी आप कोई नया बैंक अकाउंट खोलते हैं या कोई निवेश करते हैं तो आपको एप्लिकेशन फॉर्म में नॉमिनी की जानकारी देने के लिए कहा जाता है. यह अनिवार्य नहीं होता है, बल्कि एक तरह की सलाह है ताकि अगर आपके साथ कुछ बुरा हो जाए और इस दौरान आपके परिवार को पैसे की जरूरत हो तो इसमें उन्हें किसी तरह की समस्या ना हो. उदाहरण के तौर पर अजीत सिंह (बदला हुआ नाम) के मामले से आप इसे समझ सकते हैं.
अजीत ने कोविड -19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान अपने माता-पिता दोनों को ही खो दिया. बदकिस्मती से बैंक खाते में नॉमिनी की कोई जानकारी नहीं दी गई थी. वे बैंक में जमा राशि पर अपना दावा साबित करने के लिए दर-दर भटकते रहे. यह सब अजीत के लिए और भी ज्यादा मुश्किल हो गया क्योंकि वे पहले ही अपने माता-पिता की मौत की वजह से सदमे में थे.
वाधवा एंड शाह चार्टर्ड अकाउंटेंट के मोहनीश वाधवा ने बताया, “उन्हें (अजीत सिंह) कई तरह के दस्तावेजों के जरिए बैंक को यह बताना पड़ा कि वे जमा राशि के एकमात्र वास्तविक दावेदार हैं. इसके लिए न केवल उन्होंने डिक्लेरेशन जमा कीं, बल्कि उन्हें कानूनी तौर पर इन पैसों के सभी संभावित दावेदारों से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लेना पड़ा, ताकि बैंक में यह साबित किया जा सके कि इन पैसों पर उनका ही हक है.”
माता-पिता को खो देने के बाद अजीत टूट चुके थे, ऐसे में बैंक में जमा अपने ही पैसों के लिए जूझना अजीत के लिए काफी मुश्किल हो गया था. वाधवा कहते हैं, “भारत में मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी के लिए संपत्ति को अपने नाम पर ट्रांसफर करना आसान नहीं है. अकाउंट खुलवाते समय ही नॉमिनी की जानकारी बैंक को दे देने पर इस तरह की तमाम परेशानियों से बचा जा सकता है.”
हालांकि नॉमिनी की जगह पर वसीयत या विल के जरिए भी इन परेशानियों से बचा जा सकता है लेकिन इसकी प्रक्रिया में काफी समय लगता है. वहीं, नॉमिनी होने पर पैसों की जरूरत को तत्काल पूरा किया जा सकता है.
एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) ने नॉमिनेशन नहीं होने पर मृत निवेशकों की संपत्ति को उनके उत्तराधिकारियों को ट्रांसफर करने के लिए एक समान प्रक्रिया अपनाई है. हालांकि, दो लाख रुपये से कम के निवेश की स्थिति में इसकी प्रक्रिया अलग है.
नॉमिनेशन नहीं होने पर इसके कानूनी उत्तराधिकारियों को संपत्ति को ट्रांसफर करने की प्रक्रिया और ज्यादा बोझिल हो जाती है. बिना किसी नॉमिनेशन के 2 लाख रुपये तक के म्यूचुअल फंड फोलियो के मामले में, मृतक निवेशक की संपत्ति के दावेदार को मृतक के साथ अपना संबंध दिखाने वाला एक दस्तावेज, मृतक निवेशक के कानूनी उत्तराधिकारियों द्वारा साइन किया गया क्षतिपूर्ति बांड, अनुबंध III के अनुसार सभी कानूनी उत्तराधिकारियों द्वारा दिया गया व्यक्तिगत हलफनामा और अनुबंध IV के अनुसार उनका नो – ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट प्रस्तुत करना पड़ता है.
Paisabazaar.com के वरिष्ठ निदेशक साहिल अरोड़ा बताते हैं, “अगर दावेदार वसीयत की प्रोबेट या उत्तराधिकार प्रमाण पत्र या प्रशासन का लेटर, जिसमें उसे स्पष्ट रूप से लाभार्थी बताया गया हो, प्रस्तुत करता है तो उसे क्षतिपूर्ति बॉन्ड जमा करने की जरूरत नहीं है.”
बिना किसी नॉमिनेशन के 2 लाख रुपये से अधिक वाले म्यूचुअल फंड फोलियो के मामले में यह प्रक्रिया और भी ज्यादा जटिल हो जाती है. अरोड़ा ने बताया, “पोर्टफोलियो के दावेदार को नोटरी पब्लिक या ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास द्वारा अपने हस्ताक्षर सत्यापित करने होंगे और अनुबंध III के अनुसार मृतक निवेशक के कानूनी उत्तराधिकारियों द्वारा साइन किया गया व्यक्तिगत हलफनामा प्रस्तुत करना होगा. इसके साथ ही उसे इन दस्तावेजों में से कोई एक प्रस्तुत करना भी जरूरी है – प्रोबेटेड विल की नोटरीकृत प्रति, उत्तराधिकार प्रमाणपत्र, या बिना वसीयत उत्तराधिकार के मामले में प्रशासन का पत्र या अदालत का फरमान.”
ये सभी डॉक्यूमेंट नॉमिनी के नामों के साथ 2 लाख रुपये से अधिक मूल्य के फोलियो के लिए आवश्यक दस्तावेजों के अतिरिक्त हैं, जिसमें मृतक निवेशक का डेथ सर्टिफिकेट, फॉर्म टी 3, सामान्य केवाईसी डॉक्यूमेंट और अनुबंध- IA के अनुसार बैंक मैनेजर द्वारा सत्यापित हस्ताक्षर शामिल हैं. 2 लाख रुपये से अधिक के म्यूचुअल फंड फोलियो के लिए, दावेदार को अपना हस्ताक्षर नोटरी पब्लिक या ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास द्वारा सत्यापित करवाना होगा.
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