NEO Banks: क्या आप जानते हैं कि देश में ऐसे कई बैंक हैं जिनकी एक भी फिजिकल ब्रांच नहीं है. यहां सारा काम डिजिटल रूप में होता है. इन्हें नियो बैंक कहा जाता है. कुछ लोग इन्हे आज के जमाने का बैंक भी कहते हैं. हालांकि इस बात को बहुत कम लोग ही जानते हैं कि देश में पिछले 3-4 सालों से देश में लगभग एक दर्जन नियो बैंक काम कर रहे हैं. नियो बैंक ख़ास तौर पर डिजिटल बैंक होते हैं. जिनकी कोई ब्रांच नहीं है ये बैंक ऑनलाइन काम करते हैं. आपको बता दें कि इन बैंकों के पास खुद का बैंकिंग लाइसेंस नहीं है. आम तौर पर प्रत्येक नियो बैंक एक कमर्शियल बैंक से जुड़ा होता है और इस बैंक के माध्यम से सभी लेनदेन करता है.
नियो बैंक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी हाई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हैं. ये टेक्नीकली कस्टमर्स को उनकी जरूरत के मुताबिक सर्विस मुहैया कराते हैं.
ये एक तरह से फिनटेक फर्म हैं, जो डिजिटलाइज्ड मनी ट्रांसफर, पैसा उधार देने जैसी सुविधा ऑनलाइन उपलब्ध कराती हैं. क्योंकि नियो बैंकों की ऑपरेशन कॉस्ट बहुत कम है ऐसे में यहां कस्टमर्स को कमर्शियल बैंकों की तुलना में कम फीस में ही ये सारी सुविधांए मिल जाती हैं. आमतौर पर पेमेंट बैंकों को नियो बैंक कहा जाता है.
नियो बैंक की लॉन्चिंग भारत में 2006 में हुई थी. नियो बैंक के द्वारा शुरू किया गया पहला बैंक फिनो पेमेंट्स बैंक था जिसके हेड ऋषि गुप्ता थे. तब से 26 और बैंकों ने भारत में अपना ऑपरेशन स्टार्ट किया है.
वर्तमान में देश भर में 27 नियो बैंक काम कर रहे हैं. paytm पेमेंट्स बैंक दूसरा नियो बैंक था. जिसके बाद रेजरपे, एसबीआई योनो, कोटक 811, डिजीबैंक, हायलो, आईपीपीबी, जियो पेमेंट्स बैंक, ओपन, एयरटेल पेमेंट्स बैंक, फिनिन, जुपिटर और अन्य नियो बैंक आते गए . आपको बता दें फाइनेंसियल ईयर 2021 में नियो बैंक्स का रेवेन्यू 100 मिलियन डॉलर का रहा है.
ये 27 नियो बैंक हर दिन कम से कम 5 करोड़ ग्राहकों की सेर्विए देते हैं. और इन बैंको का कटमर बेस तेज़ी से बढ़ भी रहा है. लगभग 70% नियो बैंक के ग्राहक 35 वर्ष से कम आयु के हैं.
नियो बैंक में अकाउंट खुलवाने में बहुत ही कम समय लगता है क्यूंकि यहाँ पेपर वर्क जैसी कोई प्रक्रिया नहीं होती है. कस्टमर किसी भी समय और किसी भी स्थान पर खाता खोल सकते हैं और एक-एक मिनट के भीतर किसी भी प्रकार का लेनदेन कर सकते हैं.
क्योंकि आरबीआई कमर्शियल बैंकों के 100% डिजिटल ऑपरेशन की अनुमति नहीं दे रहा है. इसलिए कमर्शियल बैंक कस्टमर को टैप करने के लिए इस प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे हैं.
प्रत्येक कमर्शियल बैंक नियो बैंकों से लेनदेन के लिए एक प्रतिशत चार्ज कर रहा है. एसबीआई, एचडीएफसी बैंक, पीएनबी, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, आरबीएल बैंक, यस बैंक जैसे अन्य बड़े कमर्शियल बैंक इस सेगमेंट में हैं. सर्विस प्रोवाइडर जैसे वीसा, मास्टरकार्ड और रुपे भी इस कार्य में NEO बैंक्स का साथ दे रहे हैं.
एक्सपर्ट्स की मानें तो आने वाले समय में नियो बैंक्स कमर्शियल बैंकों की जगह लेने वाले हैं. पहला नियो बैंक 2006 में लांच हुआ था उसके बाद दूसरे NEO बैंक को अने में 4 साल लग गए.
लेकिन अगर आप पिछले एक दशक में देखें तो 2013 और 2020 के बीच, RBI द्वारा कुल 24 नियो बैंकों को मंजूरी दी गई है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस फील्ड में अभी और बैंक्स आना बाकी हैं.
क्योंकि नियो बैंकों की टेक्नोलॉजी काम को बहुत आसान बनाती है ऐसे में इन बैंको की डिमांड आने वाले समय में बढ़नी ही है.
सिय्योन मार्केट रिसर्च के अनुसार, 2018 में दुनिया भर में नियो बैंक सेक्टर की कीमत 18.6 बिलियन डॉलर थी. 2019 से 2026 के बीच 47% की CAGR से बढ़ने का अनुमान है, जिससे 2026 तक बैंक सेक्टर की कीमत लगभग 400 बिलियन डॉलर होने की संभावना है. इस सेगमेंट की प्रमुख कंपनियां इंस्टेंटपे, नियो, ओपन और रेजरपेएक्स हैं.
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