NBFC: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियां (NBFC) के लिए उधार सीमा तय कर दी है जो अगले साल यानी 1 अप्रैल 2022 से लागू होगी. नई उधार सीमा छोटे ख़रीदारों के लिए बड़े अवसर पैदा करेंगी. बजाज फाइनेंस, आईआईएफएल और जेएम फाइनेंशियल जैसी बड़ी कंपनियों के अंदर शॉर्ट-टर्म फंडिग बाजार में कई छोटी एनबीएफसी कंपनियों के प्रवेश करने की संभावना है.
इकोनॉमिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक ब्रेनस्टेशन इंडिया के सह-संस्थापक तुषार बोपचे ने कहा, “नया विनियमन अधिक समावेशी है जहां शेयरों की सदस्यता लेने के इच्छुक छोटे ऋणदाताओं को अच्छे अवसर प्राप्त होंगे.”
उन्होंने कहा, उच्च नेटवर्थ वाले निवेशकों को आईपीओ के लिए आवेदन करने का बेहतर अवसर मिलेगा. यह वर्तमान में केंद्रित आईपीओ फंडिंग के कारण उपलब्ध नहीं है.
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को कहा था कि कोई भी एनबीएफसी किसी आरंभिक सार्वजनिक पेशकश यानी आईपीओ (IPO-Initial public offering) में धन लगाने के लिए अपने किसी एक ग्राहक को एक करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज नहीं देगी.
एक एनबीएफसी या तो सीपी (commercial paper) बेच सकती है या आईपीओ फंडिंग के लिए आंतरिक संसाधनों का उपयोग कर सकती है. कमर्शियल पेपर के बारे में बता दें कि फंड जुटाने के लिए इन्हें कंपनियां जारी करती हैं. अमूमन ये एक साल के होते हैं.
काउंसिल फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक अंडरस्टैंडिंग (CIEU-Council for International Economic Understanding) ने कहा, आईपीओ फंडिंग एक अधिक जोखिम वाला व्यवसाय है अगर यहां मुनाफा अधिक है तो घाटे की भी संभावना बनी रहती है.
नए नियमों के बाद अब छोटे निवेशकों की छोटे एनबीएफसी में आने की संभावना बढ़ गई है. इससे जोखिम की संभावना कम हो जाएगी.
निवेश के लिए संसाधन जुटाना छोटी कंपनियों के लिए एक चुनौती बन सकता है क्योंकि सीपी बेचने वाली टॉप रेटेड एनबीएफसी की तुलना में फंडिंग की लागत अधिक होगी.
फाइनेंशियल सेक्टर रेटिंग्स के ग्रुप हेड कार्तिक श्रीनिवासन ने कहा, ‘हालांकि कुछ बड़ी एनबीएफसी आईपीओ फाइनेंसिंग में ज्यादा सक्रिय हैं, वहीं छोटी एनबीएफसी फंड जुटाने की चुनौतियों का प्रबंधन करने के तरीके के आधार पर इस क्षेत्र में प्रवेश कर सकती हैं.
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