देश में जमीनी स्तर पर आंत्रप्रेन्योर और सेल्फ एम्प्लॉयमेंट में तेजी लाने के लिए 2015 में केंद्र सरकार द्वारा पीएम मुद्रा (माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी) लोन जारी करने शुरू किए थे. लेकिन, फाइनेंशियल ईयर 2021-22 के पहले 6 महीनों में लोन डिस्ट्रीब्यूशन में गिरावट आई है. मुद्रा वेबसाइट के आंकड़ों के अनुसार, फाइनेंशियल ईयर 2020-21 तक कुल डिस्बर्समेंट 16 लाख करोड़ रुपये था.
आंकड़ों के मुताबिक, फाइनेंशियल ईयर 2021-22 में 30 सितंबर तक कुल 1.07 लाख करोड़ रुपये के कर्ज मंजूर किए गए थे, जिसमें से अब तक 1.01 लाख करोड़ रुपये का डिस्बर्समेंट किया जा चुका है. अगर ये रफ्तार फाइनेंशियल ईयर के आखिर तक बनी रही, तब भी बमुश्किल 2.4 लाख करोड़ का लोन डिसबर्स हो पाएगा. 2017-18 के बाद से मुद्रा के तहत बांटे गए लोन हमेशा 2.4 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है.
अगर हम पिछले साल के 3.11 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े पर विचार करें, तो पहले छह महीनों के लिए औसत डिस्बर्समेंट 1.55 लाख करोड़ रुपये था. लेकिन करेंट फाइनेंशियल ईयर में डिस्बर्समेंट का आंकड़ा केवल 1.01 लाख करोड़ रुपये को छूता है, जो 50% से अधिक है.
शुभाशीष रॉय, डीडीजी, एमसीसी चैंबर ऑफ कॉमर्स ऑफ इंडस्ट्री ने कहा कि “ यह सच है कि आंकड़े बहुत आशाजनक नहीं हैं. कोविड महामारी की दूसरी लहर का हमारी अर्थव्यवस्था पर बहुत प्रभाव पड़ा है. इसका असर मुद्रा लोन के आंकड़ों पर भी है. आशा है कि आने वाले 6 महीनों में यह ट्रेंड 180 डिग्री ‘यू टर्न’ लेगा और पिछले आंकड़ों को हरा देगा.”
पहले 6 महीनों में यानी 1 अप्रैल से 30 सितंबर तक कुल 1.9 करोड़ लोन स्वीकृत किए गए, जिनकी राशि 1.07 लाख करोड़ रुपये थी, जिसमें से 1.01 लाख करोड़ रुपये बांटे जा चुके हैं. अप्रूव्ड लोन का औसत टिकट आकार लगभग 56,315 करोड़ रुपये है.
MUDRA को 2015 में पीएम नरेंद्र मोदी ने भारत में अधिक से अधिक छोटे आंत्रप्रेन्योर बनाने के सपने के साथ लॉन्च किया था. तब से लोन बांटने में लगातार लगातार इजाफा हुआ है. फाइनेंशियल ईयर 2022 पहला साल था जब इस आंकड़े में 6% से अधिक की गिरावट आई और एक्सपर्ट्स का मानना है कि फाइनेंशियल ईयर 2022 में यह आंकड़ा फिर से कम से कम 34% कम हो जाएगा.
मुद्रा वेबसाइट के डेटा से पता चलता है कि फाइनेंशियल ईयर 21 में, डिस्बर्स राशि 3.11 लाख करोड़ रुपये थी जो फाइनेंशियल ईयर 2020 में 3.31 लाख करोड़ रुपये था. FY19 में 3.11 लाख करोड़ रुपये और FY18 में 2.47 लाख करोड़ रुपये का लोन बांटा गया था.
FY16 के बाद से अगले चार फाइनेंशियल ईयर में MUDRA लोन में क्रमशः 32%, 41%, 27% और 6% का इजाफा दर्ज किया गया. अब तक कुल डिस्बर्समेंट 16 लाख करोड़ रुपये के करीब पहुंच गया है. दूसरी लहर के बाद, सरकार ब्याज दर को कम करके मुद्रा लोन को और अधिक मजबूत और आम लोगों के लिए सुलभ बनाने की योजना बना रही है.
एक सरकारी अधिकारी ने जून, 2021 के मध्य में बताया कि हम प्रधान मंत्री लोन पॉलिसी (पीएमएमवाई) के तहत अप्रूव्ड शिशु लोन के तत्काल प्री-पेमेंट के लिए 2% ब्याज सब्सिडी का विस्तार करने पर विचार कर रहे हैं.
मुद्रा योजना के तहत लोन की तीन श्रेणियां हैं. “शिशु” नाम वाले सबसे छोटे लोन में 50,000 रुपये मिलते हैं. लोन का अगला लेवल 50,000 रुपये से 5 लाख रुपये के बीच है और इसे “किशोर” का नाम दिया गया है. तीसरी श्रेणी के लोन का नाम “तरुण” रखा गया है. 5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक है.
लोन लेने वालों को इन लोन के लिए कोलेट्रल जमा करने की आवश्यकता नहीं है. ब्याज की सालाना दर 8.2% से 9.65% तक अलग होती है. सरकार इसे घटाकर 6% करने की योजना बना रही है लेकिन अभी निर्णय लेना बाकी है.
एमसीसी चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के सुभाषिश रॉय ने कहा कि चालू फाइनेंशियल ईयर के पहले 6 महीनों के लोन बांटने के आंकड़े में महामारी का प्रभाव स्पष्ट था. लेकिन हमें उम्मीद है कि अर्थव्यवस्था में वृद्धि के साथ अगले छह महीनों में डिस्बर्समेंट निश्चित ही बढ़ेगा. एक अधिकारी ने बताया कि हम आगे एक अच्छे साल की उम्मीद कर रहे हैं. उम्मीद है कि फाइनेंशियल ईयर 2021 की पहली छमाही में हमें जो नुकसान हुआ है, उसे अगले 6 महीनों में पूरा किया जा सकता है.
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