मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के तहत बीते दो साल में 6.41 लाख करोड़ रुपये कर्ज के रूप में दिए हैं. सरकार ने 11.29 करोड़ से ज्यादा आवेदक को वित्त वर्ष 2019-20 और 2020-21 में यह राशि बांटी है. मंगलवार को वित्त राज्य मंत्री डॉ भागवत किसानराव कराड़ ने राज्यसभा में यह जानकारी देते हुए कहा कि अप्रैल 2015 में योजना की शुरुआत के बाद से PMMY के तहत 15.97 लाख करोड़ रुपये के 30 करोड़ से अधिक लोन मंजूर किए जा चुके हैं.
राज्यवार ये है स्थिति
राज्यवार स्थिति देखें तो सबसे ज्यादा तमिलनाडु में 1.20 लाख से ज्यादा आवेदन पर 63150 करोड़ रुपये का लोन दिया जा चुका है. कर्नाटक दूसरे स्थान पर है जहां 1.03 लाख से ज्यादा आवेदन पर 59488 करोड़ रुपये का लोन दिया गया. हालांकि लक्षद्वीप और दमन व दीव से सबसे कम 2595 और 1906 आवेदन प्राप्त हुए जिनके जरिए 29 और 41 करोड़ रुपये का लोन दिया गया.
ऋण संस्थानों द्वारा दिया जाता है 10 लाख रुपये तक का लोन
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) के तहत संस्थागत लोन सदस्य ऋण संस्थानों (MLI) द्वारा सूक्ष्म व छोटे व्यवसाय ईकाइयों को उद्यमशीलता गतिविधियों के लिए 10 लाख रुपये दिए जाते हैं. यह लोन अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (SCB), क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC) और सूक्ष्म वित्त संस्थान (MFI) के जरिए दिया जा रहा है.
रोजगार सृजन का अनुमान लगाने के लिए किया था सर्वेक्षण
मंत्री ने श्रम और रोजगार मंत्रालय (MOLE) का हवाला देते हुए बताया कि PMMY के तहत रोजगार सृजन का अनुमान लगाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सर्वेक्षण किया था. जिसके अनुसार, PMMY ने लगभग 3 वर्षों (यानी 2015 से 2018 तक) की अवधि के दौरान 1.12 करोड़ अतिरिक्त रोजगार पैदा करने में मदद की. इसमें शिशु श्रेणी का लगभग 66% हिस्सा है. जबकि किशोर (19%) और तरुण (15%) श्रेणियां हैं. उन्होने यह भी बताया कि PMMY के तहत ऋण दिए गए बेरोजगार व्यक्तियों से संबंधित डेटा भारत सरकार द्वारा एक अलग श्रेणी के रूप में नहीं रखा जाता है.