RBI Interest Rates: मिडिल क्लास के लिए कोई राहत नहीं दिख रही. मौसम का पारा चढ़ने के साथ ही बढ़ता बिजली बिल भी फाइनेंशियल दिक्कतें बढ़ाता जा रहा है. वर्क फ्रॉम होम की वजह से खर्च और भी बढ़े हैं जैसे हाई-स्पीड इंटरनेट का बिल और वहीं जो लोग अब ऑफिस जा रहे हैं उन्हें महंगे पेट्रोल-डीजल की चिंता सता रही है. ये दिक्कतें काफी नहीं थी कि इसपर से कोविड-19 संकट के बीच नौकरी जाने या सैलरी घटने की चिंता भी बनी हुई है.
वहीं दूसरी ओर खाद्य महंगाई और डिपॉजिट पर घटती दरें संपन्न परिवारों पर भी दबाव बना रही हैं और संकट के समय के लिए पैसा बचाना मुश्किल होता जा रहा है. शायद यही समय है जब सरकार को हरकत में आना पड़ेगा.
सरकार के पास काफी रिजर्व है जिससे आम लोगों की दिक्कतों को कम किया जा सकता है. टैक्स देने वाले मिडिकल क्लास पर ही बोझ बढ़ाते जाना दिक्कतों का हल नहीं है. इनपर इतना भी बोझ ना बढ़ाएं कि ये टूट जाएं.
रिजर्व बैंक को अब राहत देने की दिशा में काम करना चाहिए. ब्याज दरों में बढ़ोतरी देश के हित में है. कर्ज लेने वालों को पहले ही काफी सब्सिडी दी जा चुकी है जिससे नुकसान छोटे जमाकर्ताओं को ही नुकसान हो रहा है. फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे सुरक्षित और अच्छे निवेश विकल्प आगे भी छोटे जमाकर्ताओं के लिए आकर्षक बने हुए हैं. इससे लोग मुश्किल घड़ी के लिए ज्यादा पैसे बचा पाएंगे और महंगाई पर भी काबू पाया जा सकेगा.
हालांकि, इससे खपत पर हो रहे खर्च और रिटेल सेक्टर पर असर जरूर पड़ेगा लेकिन हमें ये समझना होगा कि कल की जरूरतों से ज्यादा आज की इच्छाएं नहीं हैं. ब्याज दरें बढ़ने से महंगाई पर भी काबू पाया जा सकेगा.
सरकार को इसमें अब दखल देना ही होगा. इंफ्रा पर काम करने का यही समय है ताकि अर्थव्यवस्था में फिर से जान आए.