इन दिनों हमारे देश में सभी तरह के ग्राहकों को खास तौर पर आर्थिक रूप से निचले पायदान के लोग को कर्ज उपलब्ध कराने के लिए रोज नए तरीके इजाद हो रहे हैं. डिजिटल तकनीक से इसे और अधिक मदद मिल रही है. नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NCPI) के यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) के साथ डिजिटल भुगतान करना बेहद आसान हो गया है. बीते वित्त वर्ष में 2233 करोड़ UPI ट्रांसजैक्शन हुए, जिनका कुल मूल्य करीब 41 लाख करोड़ रुपए है. कहा जा सकता है कि आने वाला समय कर्ज के लोकव्यापीकरण का दौर होगा.
नए-नए स्टार्ट-अप
ऐसा आने वाले एक-दो सालों में हो सकता है. इसकी वजह से वेंटर कैपिटल फंडिंग के कारण नए-नए स्टार्ट-अप का सामने आना है. बीते कुछ वर्षों में कई नए स्टार्ट-अप आए हैं, कुछ तो यूनिकॉर्न बन चुके हैं. जिन स्टार्ट-अप का वैल्यूएशन एक अरब डॉलर या इससे अधिक हो जाता है उसे यूनिकॉर्न कहते हैं. NCPI में रिलेशनशिप मैनेजमेंट का काम देखने वाले नलिन बंसल का कहना है कि अगले कुछ वर्षों में फिनटेक इंडस्ट्री 20 फीसदी की रफ्तार से आगे बढ़ सकती है. दूसरे देशों की तुलना में भारत फिनटेक (फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी) को तेजी से अपना रहा है.
बिना जमानत लोन
दूसरी ओर, बिना जमानत लिए कर्ज उपलब्ध कराना आसान होता जा रहा है. गरीब से गरीब से तबगों को इसका फायदा मिल रहा है. इसकी वजह से नया बाजार तैयार हो रहा है. सरकार भी इस दिशा में रूचि ले रही है. आरबीआई ने इनोवेशन हब तैयार किया है. इस हब कार्य, आवश्यक क्षेत्रों में इनोवेटर्स को प्रोत्साहित करने के अलावा बैंकिंग, बीमा, पेंशन और कैपिटल मार्केट के नियामकों के साथ मिलकर काम करना है.
Ofbusiness.com के वसंत श्रीधर का कहना है कि वह निर्माताओं, ठेकदारों और व्यापारियों को वित्त प्राप्त करने के अनौपचारिक तरीकों से दूर करने की कोशिश कर रहे हैं. अभी ये डीलर्स, डिस्ट्रिब्यूटर और वेंडर से उधार लेते हैं. हालांकि, जमानत पर बैंक से भी लोन लेते हैं लेकिन वे अनौपचारिक रूप से ऊंची दरों (24-36 फीसदी) पर भी लोन लेते हैं, क्योंकि इसमें भुगतान में लचीलापन होता है.
Ofbusiness अपने तरीके से ग्राहक तलाशती है. जब कोई व्यक्ति टेंडर के लिए ऑनलाइन बोली लगाता है तो यह कंपनी उससे संपर्क करती है. इसके लिए Ofbusiness ने एक एप तैयार किया है. जब कोई बोली लगाता है तो यह कंपनी संबंधित व्यक्ति से संपर्क करती है और आवश्यक मटेलियल सप्लाई का ऑफर देती है, साथ ही यह बिना सिक्योरिटी के सस्ती दरों पर 2 करोड़ रुपए तक का लोन भी उपलब्ध कराती है.
CredAll के ऋषिकेश मेहता का कहना है कि वह अधिक से अधिक लोगों को लोन देना चाहते हैं. इसके लिए वह Open Credit Enablement Network (OCEN) के आधार पर एक प्लेटफार्म विकसित कर रहे हैं, जहां 40-50 उधार देनी वाली कंपनियां होंगी. और इनसे छोटे किसान, लघु उद्योग वगैरह लोन ले सकेंगे. भले ही इनका क्रेडिट स्कोर हो या न हो. लोन देने के लिए केवल जीएसटी रिटर्न और बैंक स्टेटमेंट को देखा जाएगा.
Bharat Pe के को-फाउंडर भावित कोलाडिया का कहना है कि बैंकों को अब फिनटेक का अधिक से अधिक इस्तेमाल करना चाहिए. ब्रांच आधारित बैंकिंग पुराने दिनों की बात हो चुकी है, अब सब कुछ एप के जरिए किया जा सकता है.
तकनीक के फायदे
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रबि शंकर के मुताबिक, तकनीक की वजह से फाइनेंशियल सिस्टम की दक्षता में बढ़ोतरी हुई है, और साथ ही इसकी पहुंच भी बढ़ी है. फिनटेक की मदद से समय और लागत की बचत की जा सकती है. इससे प्रतिस्पर्धा में भी वृद्धि होगी. शंकर के अनुसार, असल में बैंक और फिनटेक कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा नहीं है, बल्कि यह बैंकों के बीच है. जो इनका बेहतर इस्तेमाल करेगा, वह बेहतर प्रदर्शन करेगा.
नियम और शर्तें, ग्राहक की सुविधा व सुरक्षा के लिए होती हैं, किंतु अक्सर इन्हें ग्राहक के खिलाफ माना जाता है. शंकर बताते हैं, जब आरबीआई ने दो-चरणों वाले प्रमाणीकरण की व्यवस्था दी थी, तब इसका विरोध हुआ था, लेकिन अब इसे स्वीकार किया जा रहा है.
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