भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की आने वाली नॉन-बैंक पेमेंट प्रोवाइडर्स रेगुलेटरी प्रणाली के तहत बहुत सी कंपनियां पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस (Payment Aggregators license) की मंजूरी के लिए रिजर्व बैंक के दरवाजे पर कतार लगाए खड़ी हैं. पेमेंट एग्रीगेटर लाइसेंस (Payment Aggregators license) के लिए आवेदन करने की आखिरी तारीख 30 सितंबर 2021 है. रिपोर्ट के मुताबिक कम से कम 30 फर्मों ने अपने प्रस्ताव जमा करवाए हैं.
वहीं इस तारीख तक मौजूदा और नॉन-बैंक कंपनियां आवेदन कर सकती हैं. ऐसे में आखिरी तारीख खत्म होने तक आवेदन करने वाली कंपनियों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है. जिन कंपनियों ने RBI के पास अगले चरण के आवेदन जमा कराए हैं, उनमें रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा ग्रुप, अमेजॉन, पेटीएम (Paytm), भारतपे (BharatPe), फोन पे (PhonePe), रेजरपे (Razor pay), क्रेड (Cred), जोमैटो (Zomato), पेयू (PayU), पाइन लैब्स (Pine Labs) और कैम्स पे (CAMS PAY) शामिल हैं.
इन कंपनियों को RBI के निर्देशन में काम करना होगा. यह कंपनियां मर्चेंट्स को पेमेंट सर्विसेज दे सकेंगी. इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के मुताबिक, RBI के इस कदम से ज्यादा स्टैंडर्डाइज्ड और रेगुलेटेड पेमेंट इकोसिस्टम तैयार होगा. इसके अलावा, ये भी कयास लगाया जा रहा है कि बड़े पैमाने पर कंज्यूमर बेस वाली इंटरनेट फर्म पीए (Pas) लाइसेंस के लिए आवेदन करेगी क्योंकि इसके एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया पर खरा उतरना बहुत मुश्किल नहीं. पर इसके अप्रूवल ना मिलने पर कंपनियों को आने वाले भविष्य में फिनटेक सेवाएं देने में दिक्कतों का सामना जरूर करना पड़ सकता है.
RBI के नियमों के मुताबिक, पेमेंट एग्रीगेटर की मंजूरी पाने के लिए कंपनियों की पहले साल में कम से कम 15 करोड़ की नेटवर्थ होनी जरूरी है. दूसरे साल में ये बढ़कर 25 करोड़ रुपये होनी चाहिए.
फर्म को ‘फिट एंड प्रॉपर’ (fit and Proper) क्राइटेरिया भी नजर में रखना पड़ेगा और वैश्विक भुगतान सुरक्षा मानकों(global payment security standards) पर भी खरा उतरना पड़ेगा. PCI DSS, दुनिया भर में फर्मों द्वारा मैनेज किया जा रहा एक सूचना सुरक्षा प्रोटोकॉल (information security protocol) है.
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