होम लोन (loan) लेने वालो के लिए एक बहोत ही जरुरी खबर है. दर असल देश के लगभग सभी बैंक रिकॉर्ड स्तर पर सबसे कम ब्याज के साथ होम लोन (loan) दे रहे हैं. इससे हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (HFC) को बहुत घाटा हो रहा है. क्योंकी ग्राहक सस्ते ब्याज के कारण HFC से बैंक में होम लोन ट्रांसफर करा रहे हैं. HFC से होम लोन ट्रांसफर कराने वाले लोगों की दर 7-10 परसेंट पर पहुंच गया है. इस वजह से फाइनेंस कंपनियों की चिंता बढ़ गई है और अब वे एसे ग्राहको पर प्रीपेमेंट पेनाल्टी लगाने की सोच रहे हैं.
इस मामले को सुलझाने के लिए फाइनेंस कंपनियां रिजर्व बैंक और नेशनल हाउसिंग बैंक से लगातार बातचीत कर रही हैं. फाइनेंस कंपनियां रिजर्व बैंक से इस बात की अनुमति चाहती हैं कि अगर कोई कस्टमर उनके होम लोन के अमाउंट का ट्रांसफर कराते हैं, तो उन पर प्रीपेमेंट पेनाल्टी लगाई जा सके. अगर हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को ये इजाजत मिल जाती है तो लोन ट्रांसफर करने पर जुर्माना देने की नौबत आ जाएगी.
हाउसिंग कंपनियों के अनुसार उनको ग्राहक लेने के लिए बहुत मेहनत करनी होती है, इस पर पैसे, समय और संसाधन का खर्च होता है. इसमें कई कस्टमर ऐसे हैं जो 6 माह से 1 साल के अंदर बैंकों में अपना लोन ट्रांसफर करा लेते हैं क्योंकि बैंकों का लोन सस्ता हो गया है. बैंकों की ओर से इसके लिए प्रलोभन भी दिया जाता है. कोटक महिंद्रा और एचडीएफसी ग्राहकों को 6.65 परसेंट और 6.75 परसेंट पर लोन दे रहे हैं. दूसरी ओर हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों का लोन 7.45 प्रतिशत के आसपास है. इन कंपनियों के लिए ब्याज दरों में अभी बदलाव करना मुश्किल होगा क्योंकि पहले जो लोन दे दिए गए हैं, उसके लिए पूरा अकाउंट री-स्ट्रक्चर करना होगा.
बैंको की सस्ती लोन के चलते खासकर छोटी हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां चुनौतीयो का सामना कर रही है. बडी फाइनेंस कंपनियां तो सस्ती दर पर होम लोन दे सकते हैं और उसका खर्च वहन कर सकते हैं, लेकिन छोटी कंपनियों के लिए यह काम बेहद ही मुश्किल है. एसा देखा गया है की छोटी कंपनियां अक्सर वित्तीय रूप से कमजोर या मध्यमवर्गीय ग्राहकों को कम रेट पर लोन देती हैं. इसमें वैसे ग्राहक भी होते हैं जो पहली बार होम लोन लेते हैं. लोअर इनकम ग्रुप और समाज के कमजोर वर्ग को सस्ते मकान देने के लिए हाउसिंग लोन दिए जाते हैं. लेकिन सस्ते के चक्कर में इन लोगों में भी होम लोन ट्रांसफर का चलन देखा जा रहा है.
हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों की मांग है कि उन्हें होम लोन ट्रांसफर पर जुर्माना लगाने की अनुमति मिले. अगर कोई ग्राहक 1-डेढ़ या तीन साल के अंदर होम लोन ट्रांसफर कराता है, तो उस पर जुर्माना लगाने का प्रावधान हो. ताकी उनके काम पर असर न पड़े. हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों की चिंता इस बात को लेकर है कि बैंकों की नीतियों के चलते उनके ग्राहक दिनोंदिन घट रहे हैं और उनका कस्टमर बेस सिकुड़ता जा रहा है. हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां अपने पुराने ग्राहकों को भी धीरे-धीरे खोती जा रही हैं.
छोटे व्यवसायी, दुकानदार या फ्री लांसिंग का जोब करने वालो को कइबार सरकारी या प्राइवेट बैंको में से लोन मिलने में दिक्कत होती है. इसलिए वे हाउसिंग फाइनेंस कंपनीयों का रुख करते हैं. क्योंकी इसमें कम डोक्युमेंट्स की जरुर पडती है. हालांकी उनको लोन जरुर महंगा पडता है लेकिन लोन जलदी मिल जाता है. एसे कस्टमर एक या दो साल में अपनी होम लोन कम ब्याज दरों वाली बैंको में ट्रांसफर करा देते हैं.
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