सेविंग अकाउंट या फिक्स्ड डिपॉजिट FD पर मिलने वाले ब्याज से कमाई को लेकर लोगों के मन में तरह-तरह के सवाल उठते हैं. ये सवाल टैक्स की देनदारी को लेकर होते हैं. लोगों को एफडी या आरडी के ब्याज से आमदनी होती है. कुछ लोग लोन पर कमाई करते हैं. दूसरे को कर्ज दिया और उस पर ब्याज लेते हैं. यह भी एक कमाई का जरिया है. जब ये कमाई का स्रोत हैं तो इस पर टैक्स या टीडीएस का एक खास नियम होता है. इन खास नियमों के तहत ही टैक्स की देनदारी बनती है. बहोत से लोगो के मन में एक सवाल हमेशा रहता है की किसी बैंक में एक से ज्यादा एफडी कराने पर टीडीएस कितना कटता है. तो आइए इस बारे में जानते हैं.
FD पर टैक्स का नियम
फिक्स्ड डिपॉजिट FD का नियम अलग है जिस पर टीडीएस कटता है. किसी एक वित्तीय वर्ष में ब्याज की कमाई यदि 40,000 से ऊपर है तो टैक्स कटेगा. सीनियर सिटीजन के लिए यह लिमिट 50,000 का है. इस राशि तक उन्हें टैक्स की छूट मिलती है, लेकिन उससे ज्यादा कमाई होने पर टैक्स कटेगा. ऐसी गलती कभी नहीं होनी चाहिए कि अगर टीडीएस नहीं कटा तो टैक्स नहीं देना पड़ेगा. आप अगर सामान्य नागरिक (गैर सीनियर सिटीजन) के तौर पर एफडी पर 40,000 से ज्यादा की कमाई करते हैं, तो उस पर टैक्स चुकाना होगा. अगर आपने किसी बैंक में एक से ज्यादा एफडी कराके रखी है तो उस सारी एफडी का कुल ब्याज 40,000 से उपर है तो टैक्स कटेगा.
इनकम एग्जेंप्टेड स्लैब में आने पर एफडी की ब्याज आय पर टीडीएस से राहत मिलेगी. टीडीएस की कटौती न हो इसके लिए बैंक के पास फॉर्म 15G/15H जमा करना होता है. अगर आपने पिछले फाइनेंशियल ईयर में एफडी को लेकर ये फॉर्म जमा कर दिए हैं, तो भी इसे नया फाइनेंशियल ईयर शुरू होने पर जमा करना होगा. बैंक एफडी पर मिलने वाले ब्याज पर निवेशकों को ही टैक्स चुकाना होता है और बैंक इस पर टीडीएस लगाती है जिसे इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइलिंग के दौरान एडजस्ट किया जाता है.
PAN नहीं है तो 20% का TDS
बैंक एफडी से होने वाली ब्याज आय पर टीडीएस 10 फीसदी की दर से लगता है लेकिन अगर आपने पैन नहीं दिया है तो इस पर 20 फीसदी की दर से टीडीएस कटेगा. ऐसे में अगर आप 30 फीसदी के उच्चतम टैक्स ब्रेकेट में आते हैं तो 10 फीसदी की दर से टीडीए चुकाना ही काफी नहीं होगा. इसके अलावा जिनकी आय एग्जेंप्टेड लिमिट से ऊपर नहीं है, वे बैंक को सूचित कर सकते हैं कि टीडीएस न काटा जाए.
कौन लोग जमा कर सकते हैं ये फॉर्म
आयकर अधिनियम के मुताबिक फॉर्म 15G और फॉर्म 15H वे लोग ही जमा कर सकते हैं, जिनकी आय एग्जेम्पशन लिमिट से कम है. बता दें कि 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए 2.5 लाख रुपए तक आया करमुक्त है, वहीं 60 साल से ज्यादा और 80 साल से कम उम्र के लोगों के लिए 3 लाख रुपए तक की आय पर टैक्स नहीं लगता. 80 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए 5 लाख रुपए की आय करमुक्त है.
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