भले ही होम लोन पर ब्याज की दरें कम हों, लेकिन अगर चुकौती अवधि ज्यादा लंबी होगी, तो कुल ब्याज भुगतान भी उतना ही ज्यादा होगा. मान लीजिए कि होम लोन की लंबी चुकौती अवधि के दौरान आपको एक बड़ी राशि एकमुश्त मिल जाती है या आपकी रेगुलर इनकम में काफी बढ़ोतरी हो जाती है, तो इस सरप्लस फंड का इस्तेमाल कैसे किया जाए? क्या इस रकम का इस्तेमाल होम लोन को चुकाने में करना चाहिए या इसे कहीं दूसरी जगह पर निवेश कर देना चाहिए? एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह निर्णय अलग-अलग परिस्थितियों पर निर्भर करता है.
अब अगर यही सवाल आप किसी वित्तीय सलाहकार से पूछें, तो बहुत संभावना इस बात की है कि वह आपको पहले कर्ज उतार लेने की सलाह देगा. यह उचित भी है. उसकी सलाह पर्सनल फाइनेंशियल प्लानिंग के प्रथम सिद्धांत पर आधारित है. वह सिद्धांत कहता है कि बचत से पहले आप अपना कर्ज चुकाएं. यह सिद्धांत जंचता भी है, और इसका ‘करीब-करीब हमेशा’ अनुसरण करना चाहिए.
होम लोन पर टैक्स बेनिफिट्स
कोई इंसान टैक्स बचाने के लिए मकान नहीं खरीदता है लेकिन यह भी सही है कि होम लोन पर आपको टैक्स में छूट मिलती है. इसलिए आपको इस बात पर विचार करना चाहिए कि आपको पूरा होम लोन चुकाना है या फिर आंशिक भुगतान करना है. टैक्सपेयर को 2 लाख रुपये तक ब्याज पर टैक्स में छूट मिलती है.
निवेश के वैकल्पिक मौके
अमूमन होम लोन लंबी अवधि के लिए होता है. इसलिए इस अवधि के दौरान बेहतर रिटर्न के दूसरे विकल्पों पर भी गौर करना चाहिए. फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे प्रोडक्ट्स पर मिलने वाले रिटर्न के साथ तुलना नहीं करनी चाहिए. अगर आप इक्विटी का पिछले 40 सालों का इतिहास देखें तो सेंसेक्स ने सालाना 15 फीसदी की दर से रिटर्न दिया है. जो लोग जोखिम उठा सकते हैं, उन्हें होम लोन की बाकी अवधि में इक्विटी म्यूचुअल फंड्स स्कीमों में निवेश करना चाहिए. इस बात की ज्यादा संभावना है कि इस तरह आपको ज्यादा फायदा होगा.
कम ब्याज दर होने पर
आम तौर पर होम लोन पर ब्याज दर ज्यादातर दूसरे लोन्स की तुलना में कम होता है, इसलिए एकमुश्त रकम को निवेश करके ज्यादा रिटर्न जनरेट किया जा सकता है.
अनस्टेबल करियर
अगर आपके करियर में उतार-चढ़ाव चल रहा है और आप भविष्य को लेकर आशंकित है, तो जब भी मौका मिले, होम लोन को जल्दी चुकाकर भविष्य की देनदारियों को कम करना एक बेहतर फैसला होगा.
अगर EMI की रकम ज्यादा हो
अगर आपके मासिक आय की तुलना में EMI की रकम बहुत ज्यादा है, (मान लीजिए, आय के 40-50 फीसदी से ज्यादा) तो इस स्थिति में EMI की राशि को कम करने के लिए एकमुश्त राशि का इस्तेमाल करना बेहतर है.
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