Financial Education: आरबीआई ने हाल ही में “फाइनेंशियल इंक्लूजन इंडेक्स,” या FI-Index लॉन्च किया है. इसका मकसद देश में फाइनेंशियल इंक्लूजन की स्थिति, उपयोग और गुणवत्ता पर नजर बनाए रखना है. आरबीआई के मुताबिक, 2020-21 के दौरान डिजिटल लेनदेन की मात्रा 4371 करोड़ रुपए रही जो कि 2019 में 3412 करोड़ रुपए थी.
वित्तीय समावेशन का सीधा मतलब सभी को, चाहे वह कोई व्यक्ति हो या व्यवसायी, बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं तक समान पहुंच उपलब्ध कराना है. इसका मूल उद्देश्य ऐसे लोगों को तक वित्तीय सेवाओं की पहुंच उपलब्ध कराना है, जिन्हें अब तक इन सेवाओं से जोड़ा नहीं जा सका है.
· वित्तीय समावेशन से आर्थिक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित होती है और इससे लोग बचत करने के प्रति प्रोत्साहित होते हैं.
· समान विकास के लिए यह बहुत जरूरी है.
· यह उन लोगों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ता है जो जिन्हें अब तक वित्तीय सेवाओं का पर्याप्त लाभ नहीं मिल पाया है.
· इससे ग्रामीण जनसंख्या को भी विभिन्न तरह की बैंकिंग सेवाएं, जैसे कैश पेमेंट, वैलेंस पूछताछ व स्टेटमेंट वगैरह मिल पाती हैं.
· इससे लाभार्थी को सीधे उसके खाते में पैसा भेजने में आसानी होती है. जिससे पैसा लक्ष्यित व्यक्ति तक पहुंच पाता है और किसी तरह से भटकाव से बचा जा सकता है.
लोगों को शिक्षित करना बहुत जरूरी है ताकि वे पैसे के प्रबंधन को लेकर पूरी समझ हासिल कर सके और वित्तीय सेवाओं का प्रभावशाली उपयोग कर सकें. इसमें वित्तीय प्लानिंग के बारे में, कर्ज प्रबंधन, निवेश, ब्याज दरों वगैरह के बारे में शिक्षा दी जाती है. ताकि लोगों को पता चल सके कि जरूरत से ज्यादा कर्ज लेने या फिर एक गलत बीमा प्लान लेने के क्या नुकसान हो सकते हैं. इसलिए इसमें पहले जरूरतों की प्राथमिकता तय करना सिखाया जाता है.
वित्तीय शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न देश नए नए उपाय कर रहे हैं. मसलन, आरबीआई ने एक MANI (Mobile Aided Note Identifier) सॉफ्टवेयर पेश किया है, इसकी मदद से दृष्टि बाधित व्यक्ति नोट की पहचान कर सकता है.
सरकारों के लिए प्रयत्क्ष शिक्षा देना काफी महंगा साबित होता है, साथ ही इसके लिए उपभोक्ता भी नहीं मिलते. दूसरी ओर, कोविड महामारी की वजह से ऑनलाइन शिक्षा का महत्व भी बहुत बढ़ गया है. इसलिए सरकारें ऑनलाइन शिक्षा पर जोर दे रही हैं.
वित्तीय समावेशन के समक्ष आने वाली सबसे बड़ी बाधा गरीबी भी है. जिन लोगों के पास ज्यादा पैसा नहीं वे वित्तीय सेवाओं को नहीं वहन कर सकते. इसके अलावा, अधिकतर गरीब जनसंख्या को वित्तीय सेवाओं के इस्तेमाल के बारे में भी नहीं पता होता. इसलिए यदि देश में वित्तीय समावेशन को मजबूत करना को तो इस तरह की चुनौतियों को दूर करना होगा.
(By Prateek Singh, Founder and CEO, LearnApp.com)
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