FD: बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) करवाने वालों के लिए बड़ी खबर है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कोरोना काल में फिक्स डिपॉजिट (एफडी) के नियमों में बड़े बदलाव का ऐलान किया है.
नए नियम के अनुसार, यदि एफडी मैच्योरिटी की तिथि के बाद भी राशि पर क्लेम नहीं किया, तो इस पर ब्याज कम दिया जाएगा. यानी अब आपको एफडी मैच्योर होते ही क्लेम कर लेनी चाहिए, वरना नुकसान हो सकता है.
आरबीआई ने एक सर्कुलर जारी करते हुए कहा है कि यदि एफडी मैच्योर होती है और किसी कारण से एफडी की राशि का भुगतान नहीं हो पाता है या इस पर क्लेम नहीं किया जाता है. तो उस पर ब्याज दर सेविंग्स अकाउंट के हिसाब से या एफडी की मैच्योरिटी पर ब्याज की अनुबंधित दर, जो भी कम हो, दी जाएगी.
रिजर्व बैंक का नया आदेश देश में मौजूद सभी कॉमर्शियल बैंक, स्मॉल फाइनेंस बैंक, सहकारी बैंक, स्थानीय क्षेत्रीय बैंकों पर लागू होगा.
दरअसल, अभी तक बैंकों द्वारा फिक्स्ड डिपाजिट की मैच्योरिटी (मियाद) पूरी होने की दशा में यदि ग्राहक उसे रिन्यू कराने के लिए बैंक नहीं पहुंचता था, तो बैंक उसे ऑटोमैटिक पूर्व अवधि के लिए रिन्यू कर देता था.
इस कारण बैंक ग्राहक भी निश्चिंत रहा करते थे. मगर, 2 जुलाई को आरबीआई ने इस नियम में बदलाव करने संबंधी फरमान जारी किया है.
जिसके अनुसार अगर बैंक ग्राहक ने एफडी की मियाद पूरी होने तक रिन्यू नहीं कराया, तो उसे एफडी पर बचत खाते पर मिलने वाला ब्याज मिलेगा.
आरबीआई का यह आदेश कोरोना काल में बुजुर्गों के लिए तगड़ा झटका है. क्योंकि देश भर में वरिष्ठ नागरिकों की एक बड़ी संख्या है, जिन्होंने सेवानिवृत्त पर मिले पैसों की बैंकों में एफडी करवा रखी है.
ऐसे में अगर आरबीआई ने अपने निर्णय में संशोधन कर राहत न दी तो इसका खामियाजा बुजुर्गों को वरिष्ठ नागरिकों को उठाना पड़ सकता है.
यदि आप अपनी बचत पर अधिक ब्याज कमाना चाहते हैं, तो फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) योजनाओं में निवेश एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है. बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट करना सबसे आसान और सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता है.
फिक्स्ड डिपॉजिट वह जमा राशि है, जो बैंकों में एक निश्चित अवधि के लिए तय ब्याज पर रखी जाती है, साथ ही बाजार के उतार-चढ़ाव का भी इस पर कोई असर नहीं पड़ता.
इसमें रिकरिंग, संचयी, पुनर्निवेश जमा और नकद प्रमाण पत्र जैसी जमा भी शामिल हैं.
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