Domestic Debt: कोविड -19 महामारी ने न केवल व्यावसायिक व्यवधानों को जन्म दिया है, बल्कि इसके कारण साल 2020 से ही घरेलू कर्ज (Domestic Debt) में भी बढ़ोतरी हुई है. महामारी के आने से पहले ग्रामीण परिवारों के बीच कर्ज की औसत राशि में 84 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि शहरी परिवारों में 42 फीसदी की वृद्धि हुई, जो कि 2012 से 2018 तक छह साल की अवधि के लिए लगभग 1.5 गुना है. भारतीय स्टेट बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार अच्छी खबर यह है कि गैर-संस्थागत क्रेडिट एजेंसियों से कर्ज का हिस्सा 2018 में काफी कम होकर 34 फीसदी हो गया, जो साल 2012 में 44 फीसदी था.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक घरेलू कर्ज और जीडीपी अनुपात महामारी के दौरान बढ़ गया. रिपोर्ट का अनुमान है कि यह 2020-21 में तेजी से बढ़कर 37.3 फीसदी हो गया, जबकि एक साल पहले की अवधि में यह 32.5 फीसदी था.
फिस्कल ईयर 2021-22 की पहली तिमाही में घरेलू कर्ज बढ़कर 75 लाख करोड़ रुपये हो गया है, जो वित्त वर्ष 2020-21 में 73.59 लाख करोड़ रुपये था.
रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में घरेलू कर्ज 2018 की तुलना में 2021-22 में बढ़कर दोगुना हो सकता है.
गैर-संस्थागत ऋण एजेंसियों की हिस्सेदारी में गिरावट के साथ, विशेष रूप से ग्रामीण भारत में, अर्थव्यवस्था के औपचारिकरण (formalisation) में वृद्धि के संकेत हैं.
क्रेडिट स्रोतों में गिरावट बिहार, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, हरियाणा और गुजरात में मुख्य रूप से देखी गई है. इस गिरावट का एक मुख्य कारण किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) जारी करने की संख्या में बढ़ोतरी का होना है, विशेष रूप से हरियाणा और राजस्थान में, जिसमें औसतन 9 फीसदी की वृद्धि देखी गई.
एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 7 सालों में केसीसी कार्डों की संख्या में 5 गुना की वृद्धि हुई है. इसके अतिरिक्त गैर-संस्थागत ऋण एजेंसियों के हिस्से को कम करने के लिए कृषि कर्ज माफी एक और अहम कारण रहा है.
एसबीआई के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि कृषि में हालिया सुधार अर्थव्यवस्था को औपचारिक रूप देने में मदद कर सकते हैं. कृषि अर्थव्यवस्था के मुख्य क्षेत्रों में से एक है, जिस पर लगभग 44 फीसदी लोग निर्भर हैं.
इकोनॉमी के डेवलपमेंट में कृषि क्षेत्र की 16 फीसदी हिस्सेदारी है. हालांकि, वर्तमान में यह केवल 3 फीसदी से 4 फीसदी की सीमा में ही बढ़ रहा है.
इसलिए, रिपोर्ट के मुताबिक इसके विकास को सुनिश्चित करने के लिए इस क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करना बहुत महत्वपूर्ण हो गया है. इसके अतिरिक्त एसबीआई की इस रिपोर्ट में कृषि नकद ऋण को अन्य क्षेत्रों के बराबर बनाने का सुझाव दिया गया है.
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