अक्सर हमें जरूरतों की वजह से कई लोन लेने पड़ जाते हैं. नतीजा यह होता है कि हम पर कर्ज का बोझ बढ़ जाता है और कई EMI चुकानी पड़ जाती हैं. इस बीच घरेलू खर्च भी चलाना होता है. ऐसे में सभी लोन को कंसॉलिडेट कर के एक बार में चुकाया जा सकता है. लोन कंसॉलिडेशन (loan consolidation) में कर्ज की मात्रा ज्यादा होती है, लेकिन ब्याज कम होता है. इसे डेट कंसॉलिडेशन (debt consolidation) कहते हैं.
डेट कंसॉलिडेशन में विभिन्न कर्ज को जोड़कर एक भुगतान व्यवस्था की जाती है. इससे आप जल्द अपने कई कर्ज से मुक्त हो जाते हैं. हालांकि, एक बड़ा कर्ज बना होता है. इससे लोन ट्रैकिंग करने में आसानी होती है.
यह एक तरह का पर्सनल लोन होता है. इसमें ब्याज दर अपेक्षाकृत कम होती है. इसमें ब्याज के तौर पर दी जा रही राशि की बचत होती है. इसमें कर्ज का भुगतान सीधे किया जा सकता है. इसके बाद मासिक आधार पर डेट कंसॉलिडेशन लोन का भुगतान शुरू होता है.
आम तौर पर क्रेडिट कार्ड के कर्ज को कंसॉलिडेट किया जाता है क्योंकि इसमें ज्यादा ब्याज लगता है. हालांकि, आप अन्य प्रकार के कर्ज को भी कंसॉलिडेट कर सकते हैं.
MyWealthGrowth के को-फाउंडर हर्षद चेतनवाला कहते हैं, ‘डेट कंसॉलिडेशन का मतलब डेट प्रीपेमेंट नहीं होता. बल्कि, इसमें आप विभिन्न लोन पर दिए जा रहे ब्याज पर बचत करते हैं. इसमें अधिक ब्याज से कम ब्याज की ओर जाते हैं.’
भारत में कई वित्तीय कंपनियां और बैंक इस तरह का लोन पेश करते हैं. इनमें HDFC Bank, Citibank, Axis bank, ICICI Bank और Bajaj Finserv वगैरह शामिल हैं.
इस लोन में बैंक 10 से 24 फीसदी तक का सालाना ब्याज ले सकते हैं. साथ ही एक से चार प्रतिशत की प्रोसेसिंग फीस भी लग सकती है. लोन की अवधि एक से पांच साल की होती है.
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