Credit cards: बहुत से लोगों एक से ज्यादा क्रेडिट कार्ड Credit cards रखने का शौक होता है. ये उनकी जरूरत भी हो सकती है, लेकिन इसके गलत इस्तेमाल से आप उस मकड़जाल में फंस जाएंगे, जहां से बाहर निकलना लगभग नामुमकिन हो जाएगा. कुछ बातों को ध्यान में रखते हुए तय करें कि आप कितने कार्ड रखना चाहते हैं.
एक से ज्यादा क्रेडिट कार्ड को मैनेज करने का सही नियम क्या है? हम आपको पहले ये बता दें कि क्रेडिट कार्ड की कोई जादुई संख्या नहीं होती, जो किसी व्यक्ति के पास होनी चाहिए.
जो जरूरी है वो ये है कि आपके पास सही कार्ड हो और आप इसका इस्तेमाल जरा दिमाग लगा कर करें. मान लें अगर आप ज्यादा यात्रा नहीं करते हैं, तो यात्रा कार्ड(travel card) आपके किसी काम का नहीं है. तो यहां अपने खर्च की सीमा को नियंत्रण में रखें.
बैंकबाजार डॉट कॉम(BankBazaar.com) के सीईओ अधिल शेट्टी कहते हैं, “आमतौर पर, एक बार में अपनी क्रेडिट सीमा के 30-40% से ज्यादा का इस्तेमाल न करें. इस बात का ध्यान रखते हुए ही तय करें कि आप कितने कार्ड रखना चाहते हैं.
ध्यान रखें कि अपने पुराने कार्डों को रीटेन करें क्योंकि बैंक को इसमें आपकी क्रेडिट हिस्टरी (credit history) काफी समय से पता चलती है”.
वैसे तो क्रेडिट कार्ड खर्च को लगातार नियंत्रण में रखना हमेशा सही होता है, लेकिन यहां ये ज्यादा माने नहीं रखता कि आपने कितना खर्च किया.
बल्कि, कुंजी ये है कि आप वास्तव में ‘कब’ खर्च करते हैं. इसलिए क्रेडिट कार्ड से खर्च करने का सही समय इंटरेस्ट फ्री पीरियड के मुताबिक होना चाहिए. इंटरेस्ट फ्री पीरियड क्रेडिट कार्ड लेनदेन (transaction ) की तारीख और बिल चुकाने की तय तारीख (due date) के बीच का समय है.
इस समय के दौरान एटीएम से नकद निकलने (ATM cash withdrawals) को छोड़कर, क्रेडिट कार्ड लेनदेन पर जीरो इंटरेस्ट (zero interest) लगाया जाता है. हालांकि, यह नियम तभी लागू होता है, जब आप देय तिथि के अंदर पूरी बिल की रकम का भुगतान कर देते हैं.
शेट्टी जोर देते हुए कहते हैं, “क्रेडिट कार्ड के खर्च को बिल जनरेट होने के बाद ही चुकाने की जरूरत होती है न कि उस समय जब इसे स्वाइप किया जाता है.
ये कार्ड इस्तेमाल करने वाले को खरीदारी के समय से एक महीने तक की विंडो देता है. एक बार बिल जनरेट होने के बाद यूजर्स के पास इसे क्लियर करने के लिए 20-25 दिन का समय होता है.
अगर बिल का पूरा भुगतान कर दिया जाता है, तो ये पूरी अवधि ब्याज मुक्त (interest-free) होती है. ध्यान रहे कि ये तभी लागू होता है जब भुगतान पूरी तौर पर किया जाता है और अन्यथा नहीं ”.
नए क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करने से पहले आपको हमेशा मासिक किस्त (EMIs) के विकल्पों और अलग अलग क्रेडिट कार्डों पर ऑफ़र की तुलना करनी चाहिए.
रिवॉर्ड पॉइंट(reward points) का फायदे जरूर उठाएं
क्रेडिट कार्ड कंपनियां टार्गेट सेक्टर (target sector) को मद्देनजर रखते हुए रिवॉर्ड पॉइंट (reward points), कैशबैक (cashbacks ) और दूसरे फायदे डिजाइन करती हैं.
इसका सीधा सा मतलब ये है कि अगर आप अपने क्रेडिट कार्ड को अलग अलग तरीकों से इस्तेमाल करने की समझदारी रखते हैं, तो आप इन मुफ्त सुविधाओं का जबरदस्त फायदा उठा सकते हैं.
मान लें अगर आप यात्रा, खरीदारी, खाने, ईंधन आदि जैसी श्रेणियों में अच्छा खास पैसा खर्च करना पसंद करते हैं, तो आप उपरोक्त सभी श्रेणियों में बेहतरीन रिवॉर्ड प्वाइंट्स पा सकते हैं, जो काफी फायदेमंद है.
आप अपने क्रेडिट को कितनी समझदारी से खर्च करते हैं यही कला है.अगर आप अपने खर्चों और रीपेयमेंट का सही प्लान बनाते हैं तो कार्डों की संख्या कोई मायने नहीं रखती.
देखिए क्रेडिट कार्ड कोई फ्री पास नहीं है बल्कि जो आप खर्च करते हैं उसे चुकाना भी होता है. अब अगर आप ज्यादा खर्च कर देते हैं, तो चुकाने के वक्त आप ही को परेशानी होगी.
पेनेल्टी से बचने के लिए आपके पास minimum payment का भी विकल्प है. ये बकाया कार्ड की बची हुई रकम का 5% भुगतान होता है, लेकिन यहां भी आपको ब्याज का भुगतान करना ही होगा.
क्रेडिट कार्ड डेट को उच्चतम ब्याज दरों (highest interest rates) के लिए जाना जाता है. यहां आपको अपनी अनपेड रकम पर 40% तक ब्याज का भुगतान करना पड़ सकता है.
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