ATM: किसी भी एटीएम में एक महीने में दस घंटे से ज्यादा के कैश-आउट पर बैंकों पर 10,000 रुपये की पेनाल्टी के भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के निर्देशों को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया है. एटीएम ऑपरेटर (इंडस्ट्री में मैनेज्ड सर्विस प्रोवाइडर के रूप में जाने जाते हैं) और कैश-इन-ट्रांजिट कंपनियां पेनाल्टी देने से अपने हाथ पीछे खींचते दिखाई दे रहे हैं. मंगलवार को बैंकों को एक सर्कुलर में, आरबीआई ने कहा था कि उन्हें एटीएम में नकदी की उपलब्धता की मॉनिटरिंग करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई कैश-आउट न हो.
सर्कुलर के अनुसार यदि किसी ATM में महीने में 10 घंटे से ज्यादा कैश आउट होता है तो बैंकों पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा.
आरबीआई ने कहा कि बैंक/व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटरों को एटीएम में नकदी की उपलब्धता की मॉनिटरिंग के लिए अपने सिस्टम/मैकेनिज्म को मजबूत करना होगा और कैश-आउट से बचने के लिए समय पर पैसा डालना होगा. एक अक्टूबर से आरबीआई के ये नए नियम लागू होंगे.
एक एमएसपी फर्म में एक सीनियर एग्जीक्यूटिव ने कहा, कुछ ऐसे स्थान हैं जहां एटीएम लोड होने के कुछ घंटों के भीतर कैश-आउट हो जाते हैं.
अगर हर महीने जुर्माना लगाया जाता है तो इन मशीनों को ऑपरेट करना संभव नहीं हो सकता. देश में 2,13,766 एटीएम हैं, और उनमें से अधिकतर एमएसपी मैनेज करती है जो एटीएम मशीनों में नोट भरने के लिए कैश-इन-ट्रांजिट कंपनियों को अपॉइंट करते हैं.
भारत की सबसे बड़ी सिक्योरिटी और कैश-इन ट्रांजिट कंपनी एसआईएस के मैनेजिंग डायरेक्टर ऋतुराज सिन्हा ने कहा, आरबीआई के इस सर्कुलर के पीछे जो मंशा है उसका स्वागत है, लेकिन अकेले पेनाल्टी लगा देने से एटीएम करेंसी आउटेज के मुद्दे को हल नहीं किया जा सकता.
इसकी काफी संभावना है कि यह जुर्माना बैंकों से एमएसपी तक और एमएसपी से कैश लॉजिस्टिक्स एजेंसियों तक पास-थ्रू होगा. सिन्हा ने कहा कि एटीएम के कैश-आउट होने का रूट कॉज क्या है इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
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