बीते डेढ़-दो सालों के बाद अब धीरे-धीरे स्कूल खुलने लगे हैं. हालांकि, कोरोना महामारी के इस दौर में बच्चों के स्कूल की फीस बहुतों के लिए चिंता सबब हैं. खास तौर पर उन लोगों के लिए, जिन्हें कोरोना के दौर में अपनी नौकरी खोनी पड़ी या सैलरी में कटौती हो गई या फिर बिजनेस पर बुरा असर पड़ा. हम यहां आपको स्कूल फीस से जुड़ी कुछ चिंताओं का सामना करने के टिप्स बता रहे हैं.
मासिक किस्त
कुछ एजुकेशन फाइनेंशिंग प्लेटफार्म ऐसे होते हैं, जो स्कूल को पूरी फीस एक बार में दे देते हैं. ताकि, पालकों को अपने बच्चों की फीस भरने में आसानी हो सके. साथ ही वे इसके एवज में कोई शुल्क भी नहीं लेते या फिर बहुत कम ब्याज लेते हैं. आजकल बहुत से लोग इनका इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे पैरेंट को अपने बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाने में सुविधा हो जाती है.
कितनी राशि
सभी मापदंड पूरा करने पर, आपको डिस्बर्स कर दिया जाता है. इसमें फीस की राशि 30 हजार रुपए से 12 लाख रुपए तक हो सकती है. इस राशि के आधार पर मासिक किस्त निर्धारित की जाती है. जिसे 6 से 12 महीने के भीतर चुकाया जा सकता है.
कैसे प्राप्त करें?
Financepeer और GrayQuest, ऐसी कंपनियां हैं जो इस तरह के ऑफर पेश कर रही हैं. जब कोई पैरेंट या स्कूल इनसे संपर्क करते हैं, तो ये कुछ निश्चित प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद एजुकेशनल फाइनेंस उपलब्ध करा देती हैं. इसमें लोन की अवधि 6 से 12 महीनों की होती है, जो बहुत ही कम ब्याज दर पर मिल जाती है. हालांकि, इसके लिए कुछ दस्तावेंजों की भी जरूरत होती है. इनमें आधार कार्ड, पैन कार्ड और आय प्रमाणपत्र वगैरह शामिल होते हैं. पूरी प्रक्रिया बहुत कम समय में पूरी कर ली जारी है.
कौन इसके योग्य होते हैं?
किसी आय वर्ग के लोग इसकी सुविधा ले सकते हैं. आर्थिक मामलों के जानकार नीलोत्पल बनर्जी का कहना है, “किसी भी वर्ग के लोग इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं. यह सुविधा किस्तों में मिल जाती है. साथ ही इसमें बीमा भी होता है.”
जानकारों का मानना है कि एजुकेशन लोन लंबी अवधि के होते हैं और इनमें ब्याज दरें भी अधिक होती हैं. स्कूल फीस की ऐसी फाइनेंशिंग आसान और किफायती होती है.
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