सड़क हादसों (road accident) का शिकार होने वाले लोगों के परिवारों को इंश्योरेंस क्लेम दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने 16 मार्च को अहम आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि रोड एक्सीडेंट (road accident) का शिकार होने वाले लोगों के परिवारों को इंश्योरेंस क्लेम दिए जाने की प्रक्रिया में तेजी लाई जानी चाहिए और यह इस प्रक्रिया को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से पूरा किया जाना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से हर साल देश की सड़कों पर सड़क हादसों मेंं मारे जाने वाले लोगों के परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी और उन्हें इंश्योरेंस क्लेम के लिए एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर चक्कर नहीं काटने होंगे. साथ ही क्लेम की रकम भी उन्हें जल्दी मिल पाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस पूरी प्रक्रिया में इलेक्ट्रॉनिक जरियों से पूरा किया जाना चाहिए. इसमें पुलिस की रिपोर्ट्स से लेकर इंश्योरेंस कंपनियों के बैंक ट्रांसफर तक पूरा काम इलेक्ट्रॉनिक रूप से होना चाहिए. कोर्ट ने कहा है कि पुलिस की रिपोर्ट्स 48 घंटे के भीतर दाखिल होनी चाहिए और ये या तो ईमेल के जरिए या फिर किसी तय वेबसाइट पर दाखिल की जानी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजय किशन कौल और आर सुभाष रेड्डी की बेंच ने अपने आदेश में कहा है कि पुसिस को मोटर एक्सीडेंट क्लेम्स ट्राइब्यूनल (MACT) और इंश्योरेंस कंपनी को 48 घंटे के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी ताकि क्लेम की प्रोसेस को शुरू करने में देरी न हो.
सड़क हादसों में मौतों के लिहाज से सबसे ऊपर है भारत भारत हर साल रोड एक्सीडेंट्स (road accident) और इससे मरने वाले लोगों की संख्या के आधार पर दुनिया में टॉप पोजिशन पर है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक, 2019 में देश में सड़क हादसों में मरने वालों की तादाद इससे पिछले साल के मुकाबले 1.3 फीसदी बढ़कर 1,54,732 पर पहुंच गई थी. 2018 में देशभर में सड़क हादसों में 1,52,780 लोग मरे थे.
भारत में दुनिया के सबसे ज्यादा सड़क हादसों (road accident) के दौरान मौतें होती हैं. इसके बाद चीन का नंबर आता है. चीन में 2019 में 2,12,846 सड़क हादसे हुए और इनमें 63,093 लोगों की मौत हुई थी. अमरीका में 2019 में सबसे ज्यादा 22,11,439 सड़क हादसे हुए और इनमें 37,461 मौतें हुई थीं.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से क्या बदलाव आएगा?
जानकार कहते हैं कि यह फैसला बेहद अहम है और इससे रोड एक्सीडेंट (road accident) का शिकार हुए लोगों के परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी. सुप्रीम कोर्ट के वकील शाश्वत आनंद कहते हैं कि इससे एक बड़ा बदलाव ये हुआ है कि अब एक्सीडेंट (road accident) में मरने वाले लोगों के परिवारीजनों को एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर भटकना नहीं पड़ेगा. वे कहते हैं, “मान लीजिए गुजरात का कोई शख्स यूपी में कहीं पर रोड एक्सीडेंट (road accident) का शिकार हो जाता है तो इस आदेश के बाद उसके परिवारीजनों को क्लेम के लिए यूपी नहीं भागना पड़ेगा. मुआवजे की पूरी प्रक्रिया ईमेल के जरिए पूरी हो जाएगी.”
कैसे मिलेगा क्लेम? सुप्रीम कोर्ट के आदेश में अहम बात ये भी है कि अब पूरे देश में रोड एक्सीडेंट (road accident) की क्लेम प्रक्रिया को एक जैसा कर दिया गया है. साथ ही इसमें पूरी प्रक्रिया को स्पष्ट रूप से बताया गया है. इसमें कहा गया है कि जिस थाना क्षेत्र में एक्सीडेंट होगा, उसे 48 घंटे के भीतर एक्सीडेंट इंफॉर्मेशन रिपोर्ट को मोटर एक्सीडेंट क्लेम्स ट्राइब्यूनल (MACT) को भेजना होगा.
अगले चरण में पुलिस को 3 महीने के भीतर इसकी एक विस्तृत रिपोर्ट और मुआवजे का आकलन ट्राइब्यूनल और बीमा कंपनी को भेजना होगा. ये पूरा काम ईमेल के जरिए होगा.
आनंद कहते हैं, “इसके बाद ट्राइब्यूनल बीमा कंपनी से पूछेगा कि वे कितना क्लेम देंगे और इस पर इंश्योरेंस फर्म अपना सेटलमेंट ऑफर ट्राइब्यूनल को भेजेगी.”
मुआवजे की रकम तय होने के बाद बीमा कंपनी ये पूरा पैसा दावेदार के खाते में RTGS या NEFT के जरिए ट्रांसफर कर देगी.
आनंद कहते हैं कि इस फैसले की सबसे बड़ी बात ये है कि इसमें पूरी प्रक्रिया को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से करने की बात की गई है.
वे कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने बीमा कंपनियों से हर जगह पर अपने नोडल अफसर नियुक्त करने के लिए भी कहा है और ट्राइब्यूनल और बीमा कंपनियों से अपनी मेल आईडी भी तैयार करने और इन्हें मुहैया कराने के लिए कहा है ताकि ग्राहकों को सुविधा हो सके.
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