दुनिया में VISA के बाद दूसरे बड़े पेमेंट नेटवर्क Mastercard ने भारत के डिजिटल पेमेंट सिस्टम UPI के बारे में कहा है कि यह भारत में डिजिटल इकोनॉमी को तो बढ़ावा दे रहा है लेकिन इसके साथ जुड़ी वित्तीय इकाइयों के लिए यह घाटे का प्रोजेक्ट है. UPI के जरिए जो भी डिजिटल लेनदेन होता है उसमें किसी तरह का शुल्क नहीं कटता और बैकों को अपने खर्चे पर इसे चलाना पड़ता है. मास्टरकार्ड के मुख्य वित्तीय अधिकारी सचिन मेहरा का कहना है कि भारत में वित्तीय इकोसिस्टम के भागीदारों के लिए UPI घाटे का सौदा है.
देश में UPI को 2016 में लॉन्च किया गया था और भारत की डिजिटल इकोनॉमी के लिए यह एक गेम चेंजर बनकर साबित हुआ है, साथ में दुनिया के बड़े पेमेंट नेटवर्क के लिए चुनौती भी बना है. देश में भी UPI पेमेंट सिस्टम दूसरे पेमेंट सिस्टम के मुकाबले तेजी से आगे बढ़ रहा है. जून के दौरान देश में UPI के जरिए लेनदेन में 46 फीसद की ग्रोथ आई है जबकि इस दौरान क्रेडिट कार्ड से लेनदेन 26 फीसद बढ़ा है, डेबिट कार्ड से होने वाले लेनदेन में तो 9 फीसद की गिरावट देखने को मिली है.
देश में UPI का यूजर्स बेस 35 करोड़ को पार कर चुका है और अगस्त के दौरान इसके जरिए 10 अरब से ज्यादा पेमेंट हुए हैं. दूसरी तरफ अगर वीजा और मास्टर कार्ड का परफार्मेंस देखें तो पूरी दुनिया में वीजा के जरिए होने वाले मासिक पेमेंट का आंकड़ा करीब 22 अरब है और मास्टरकार्ड का लगभग 11 अरब. जबकि UPI अकेले भारत में ही 10 अरब से ज्यादा लेनदेन करवा रहा है. UPI को तैयार करने वाली संस्था नेशनल पेमेंट कार्पोरेशन ऑफ इंडिया यानी NPCI के मुताबिक UPI के जरिए हर महीने 100 अरब डिजिटल पेमेंट किए जाने की क्षमता है जो मौजूदा स्तर से करीब 10 गुना ज्यादा होगा.
हालांकि यह भी सही है कि बैंक फिलहाल UPI का इस्तेमाल अपने खर्च पर करवा रहे हैं, इसके जरिए लेनदेन पर किसी तरह पेमेंट नहीं होने की वजह से इसके संचालन का सारा खर्च बैंकों को अपने संशाधनों से करना पड़ रहा है. हो सकता है कि UPI से बैंकों को कमाई कराने के लिए सरकार इसके लेनदेन को लेकर किसी तरह के शुल्क को लगाने का प्रस्ताव रखे.
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