चीन के इलेक्ट्रिक वाहनों समेत कुछ अन्य सामानों पर अमेरिका की ओर से नए आयात शुल्क लगाने की घोषणा से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है. दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच बढ़ रहे व्यापार युद्ध का असर भारत पर भी पड़ सकता है. इससे घरेलू बाजार में सामान की डंपिंग के खतरे की आशंका है. इसे लेकर निर्यातकों के शीर्ष संगठन फियो ने गुरुवार को चिंता जताई. उन्होंने भारतीय सरकार को चीन से आयात पर कड़ी नजर रखने की सलाह दी.
फियो के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने कहा कि अगर आयात में वृद्धि या डंपिंग होती है, तो व्यापार उपचार महानिदेशालय (DGTR) को घरेलू कंपनियों के हितों की रक्षा लिए उचित कार्रवाई करनी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि चीन के पास कई क्षेत्रों में जरूरत से ज्यादा क्षमता है. खासतौर पर इलेक्ट्रिक वाहन क्षेत्र में. ऐसे में अगर चीन के लिए जब एक महत्वूपर्ण बाजार निर्यात के लिए बंद हो तो डंपिंग के खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता है.
भारत के लिए हो सकता है अवसर
फियो के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने एक दूसरे पक्ष पर भी अपनी राय रखी. उन्होंने कहा कि अमेरिका-चीन के बीच का ये तनाव भारत के लिए अवसर भी हो सकता है. यह उसके और अन्य प्रतिस्पर्धी देशों को आपूर्ति के अंतर को पाटने का मौका हो सकता है. चीन पर अतिरिक्त शुल्क से प्रभावित होने वाले उत्पादों में फेसमास्क, सिरिंज, चिकित्सा दस्ताने, एल्यूमीनियम और लोहा तथा इस्पात शामिल हैं. ऐसे में इन क्षेत्रों को लाभ उठाने का भारत के पास मौका है. इसके लावा चीन भी अमेरिका के निर्यात पर जवाबी कदम उठा सकता है, इससे भी भारत के लिए अवसर आ सकता है.
निर्यातकों की बढ़ी समस्याएं
फियो अध्यक्ष ने कहा कि लाल सागर संकट का समुद्री माल ढुलाई और हवाई माल ढुलाई दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है. इससे भारतीय निर्यात प्रभावित हो रहा है. परंपरागत रूप से समुद्र के रास्ते भेजे जाने वाले कुछ सामान को संकट के कारण हवाई मार्ग से भेजा जा रहा है, लिहाजा हवाई माल ढुलाई की मांग बढ़ी है. इससे ‘एयर कार्गो’ की लागत बढ़ गई है. समुद्री और हवाई मार्ग के जरिये मालढुलाई लागत बढ़ने से विदेशी खरीदारों के लिए भारतीय निर्यात अधिक महंगा हो जाता है. इससे वैश्विक बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धी क्षमता को नुकसान हो सकता है.