बढ़ती महंगाई और अनिश्चित भू-राजनीतिक परिस्थितियों ने कर्ज सस्ता होने की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. इस साल मई में खुदरा महंगाई दर घटने से कर्ज सस्ता होने की उम्मीद अब पूरी तरह से खत्म होती दिख रही है. क्योंकि अमेरिका में एक बार फिर ब्याज दरों में तेजी का सिलसिला शुरू हो गया है. अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने बुधवार रात अपनी प्रमुख ब्याज दरों में चौथाई फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है.
अमेरिका में ब्याज की दर अब 22 साल की रिकॉर्ड ऊंचाई पर है. यहां ब्याज की दर 5.5 फीसदी हो गई है. अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने महंगाई का हवाला देते हुए यह भी कह दिया है कि आने वाले दिनों में वह ब्याज दर और बढ़ा सकता है. अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने से अब भारत में भी कर्ज की दर और बढ़ने की संभावना भी बढ़ गई है. भारत का स्वैप रेट भी इस बात की ओर इशारा करता हुआ दिख रहा है. ओवरनाइट इंडेक्स्ड स्वैप (OIS) रेट RBI की जून पॉलिसी के बाद बहुत ज्यादा बढ़ चुका है. ओआईएस इस बात का संकेत दे रहा है कि अब RBI अगले साल अगस्त में ही रेपो रेट में कटौती कर सकता है. हालांकि इससे पहले इस बात के संकेत मिल रहे थे कि अगले वित्त वर्ष की शुरुआत में ही कर्ज सस्ता होना शुरू हो सकता है.
ओवरनाइट इंडेक्स्ड स्वैप (OIS) एक प्रमुख मानक है, जो ब्याज दर बढ़ने या घटने का अनुमान लगाता है. जब स्वैप रेट कम होता है तब ये ब्याज दर घटने का संकेत होता है. स्वैप रेट में बढ़ोतरी ब्याज दर और बढ़ने की ओर इशारा करता है. ओवरनाइट इंडेक्स्ड स्वैप में तेज बढ़ोतरी को देखते हुए अब घरेलू बाजार ने भी ये अनुमान लगाना शुरू कर दिया है कि RBI हाल फिलहाल मौद्रिक नीति पर उदार रुख नहीं अपनाने वाला है.
मौजूदा स्थिति में ओवरनाइट इंडेक्स रेट में वृद्धि से ब्याज दर में कटौती की संभावना खत्म हो गई है. 8 जून को RBI की मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के बाद, एक साल और पांच साल वाला स्वैप रेट क्रमश: 14 और 20 बेसिस प्वाइंट बढ़ चुका है.
आईसीआईसीआई सिक्यूरिटीज के वरिष्ठ अर्थशास्त्री अभिषेक उपाध्याय का कहना है कि मौजूदा ओवरनाइट इंडेक्स्ड स्वैप रेट इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि अगले एक साल तक ब्याज दरों में कोई कटौती नहीं होगी.
वहीं सिंगापुर के डीबीएस बैंक की अर्थशास्त्री राधिका राव का भी कुछ ऐसा ही मानना है. राव का कहना है कि मौजूदा महंगाई की स्थिति को देखते हुए RBI मौजूदा वित्त वर्ष में ब्याज दर में कोई कटौती नहीं करेगा. अगले वित्त वर्ष की शुरुआत में ही ब्याज दरें घटने की संभावना है.
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