भारत में अस्पतालों की संख्या और जरूरी सुविधाओं में भले ही अभी कमी है, लेकिन हेल्थ केयर सेक्टर में पिछले कुछ समय से अच्छी ग्रोथ देखने को मिली है. यही वजह है कि साल 2012 में जो स्वास्थ्य सेक्टर बाजार महज 73 अरब अमेरिकी डॉलर का था, उसके साल 2022 में 372 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाने का अनुमान लगाया जा रहा है. हेल्थ केयर इंडस्ट्री में 18% की सालाना बढ़त देखने को मिली है. कोविड महामारी के बाद से इसमें और तेजी आई है, क्योंकि इसने बुनियादी ढांचे और सेवा वितरण की आवश्यकता को बढ़ाकर स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र को चुनौती दी, जिससे यह परिवर्तन के लिए एक ट्रिगर बन गया. वैश्विक रियल एस्टेट कंसल्टेंसी नाइट फ्रैंक की रिपोर्ट के मुताबिक हेल्थकेयर इंडस्ट्री से संबंधित रियल एस्टेट में वैश्विक निवेश 38 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है, जो कुल वैश्विक रियल एस्टेट निवेश का 4.3% है.
नाइट फ्रैंक के विश्लेषण के अनुसार, भारत सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जिसमें व्यक्तियों की उच्च व्यक्तिगत खर्च क्षमता में स्वास्थ्य देखभाल प्रमुख हिस्सा है. बढ़ती उम्र की आबादी में धीरे-धीरे वृद्धि, प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि, बढ़ती स्वास्थ्य जागरूकता और स्वास्थ्य बीमा की पहुंच जैसे कारणों के चलते भारत में स्वास्थ्य सेवा उद्योग की मांग बढ़ रही है. इसके अलावा जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की वजह से भी स्वास्थ्य देखभाल की मांग बढ़ने की संभावना है.
नाइट फ्रैंक इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल का कहना है बढ़ती जनसंख्या के साथ भारत में आबादी के अनुरूप अस्पताल और बेड की व्यवस्था करना एक चुनौती है. इस मांग को पूरा करने के लिए वर्तमान रियल एस्टेट क्षमता को लगभग दोगुना करने की जरूरत है. रिपोर्ट के अनुसार भारत वर्तमान में 1.42 अरब की अपनी वर्तमान जनसंख्या की जरूरतों को पूरा करने के लिए 2 अरब वर्ग फुट स्वास्थ्य सेवा स्थान की कमी का सामना कर रहा है. भारत में उपलब्ध अस्पताल बिस्तरों की संख्या और आवश्यक अस्पतालों की संख्या के बीच काफी अंतर है. भारत में अभी प्रत्येक 1000 लोगों पर 1.3 बिस्तर का अनुपात है, जो काफी कम है. मौजूदा आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत को 24 करोड़ बिस्तरों की जरूरत है.
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