होनहार एवं छिपी प्रतिभाओं को पहचानने और छोटे बिजनेस को ग्लोबल हब में तब्दील करने में वैश्विक क्षमता केंद्र (GCC) मदद करता है. आमतौर पर ऐसे केंद्रों को स्थापित करने की पसंदीदा जगह टियर 1 में आने वाले शहर हैं, जिनमें मुंबई, पुणे और बेंगलुरु आदि शामिल हैं. मगर ऐसा पहली बार है जब टियर-II और टियर-III शहरों में जीसीसी का विस्तार हो रहा है. ऐसे में अहमदाबाद, मैसूरु, वडोदरा, नासिक, तिरुनेलवेली और कोयंबटूर जैसे शहरों में स्थापित जीसीसी के विस्तार के लिए प्रमुख केंद्र के रूप में उभरे हैं. इससे छोटे एवं दूर-दराज के इलाकों में भी रोजगार मिल सकेगा. नैसकॉम-जिनोव रिपोर्ट के अनुसार, 2022-23 तक भारत में 1.66 मिलियन कर्मचारियों के साथ 1,580 जीसीसी थे. 2023 की पहली छमाही में टियर-I शहरों में 18 जीसीसी स्थापित किए गए थे. जीसीसी, जिसे वैश्विक इन-हाउस सेंटर या कैप्टिव के रूप में भी जाना जाता है, ये 1990 के दशक की शुरुआत में प्रौद्योगिकी संचालन के लिए जनरल इलेक्ट्रिक, टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स, सिटीग्रुप और अमेरिकन एक्सप्रेस जैसी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों की ऑफशोर यूनिट के रूप में उभरी.
भारत जीसीसी के लिए एक हॉटस्पॉट के रूप में सामने आया है क्योंकि कंपनियां देश से कुछ नया और विश्व स्तरीय टेक्नोलॉजी सॉल्यूशन चाहती हैं. यही वजह है कि साल 2023 की पहली छमाही के दौरान, कम से कम पांच जीसीसी का विस्तार टियर-2 शहरों में किया गया. उदाहरण के लिए, ऊर्जा कंपनी मेट्सो ने हाल ही में अपना ऑपरेशन्स वडोदरा तक बढ़ाया है. प्रीमियम स्पिरिट्स कंपनी पेरनोड रिकार्ड ने नासिक में विस्तार किया है, और मैन्यूफैक्चरिंग सर्विस प्रोवाइडर फ्लेक्स ने कोयंबटूर में खुद को स्थापित किया है. कुछ जीसीसी की टियर-II शहरों में पहले से ही मजबूत उपस्थिति है. जैसे- अमेरिका स्थित वित्तीय सेवा कंपनी फर्स्ट अमेरिकन फाइनेंशियल कॉरपोरेशन की जीसीसी इकाई, फर्स्ट अमेरिकन (इंडिया) की तमिलनाडु के एक छोटे से शहर सेलम में 800 से अधिक कर्मचारियों के साथ एक बड़ी हिस्सेदारी है.
ज़िन्नोव के पार्टनर मोहम्मद फ़राज़ खान का कहना है कि जो कंपनियां पहले से ही भारत के टियर- I शहरों में अच्छी तरह से बस चुकी हैं, वे यह पता लगाना शुरू कर सकती हैं कि वे देश के विभिन्न हिस्सों में अन्य शहरों में जाकर प्राकृतिक आपदाओं के मामले में अपने पोर्टफोलियो को कैसे जोखिम में डाल सकती हैं. टियर-II शहरों में केंद्र के विस्तार से लागत में फायदा होने के साथ दूसरे लाभ भी हैं. जैसे कर्मचारियों का कम नौकरी छोड़ना, प्रतिभा की आसान उपलब्धता आदि. इसके बदले में जीसीसी बेहतर मुआवजा देती है. वो लोगों को अच्छे रोजगार का विकल्प देते हैं. इंडिया कैप्टिवेटिंग नामक एनएलबी सर्विसेज की रिपोर्ट के अनुसार, 78 प्रतिशत जीसीसी ने प्रतिभा निखारने के लिए भारत को चुना है.
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