स्मार्टफोन के अलावा भारतीय टेलीविजन सेगमेंट में भी चीनी कंपनियों का काफी दबदबा माना जाता है. कम कीमत में ज्यादा फीचर्स के चलते ये ग्राहकों को लुभाने में कामयाब रहते हैं, लेकिन ऐसा पहली बार है जब चाइनीज ब्रांड्स इस सेग्मेंट में अपनी बाजार हिस्सेदारी खो रहे हैं. एलजी और सैमसंग जैसे बड़े ब्रांड, चाइनीज कंपनियों को मात दे रहे हैं. इन ब्रांड्स ने भारत में अपनी रणनीति में बदलाव किया है. उन्होंने एंट्री लेवल प्रोडक्ट की कीमतों को कम किया है. जिसके चलते लोग चीन के टेलीविजन ब्रांड्स की जगह दूसरी कंपनियों की ओर शिफ्ट कर रहे हैं.
उद्योग के जानकारों का कहना है कि वनप्लस और रियलमी जैसे चीनी ब्रांड्स जल्द ही भारत में टेलीविजन व्यवसाय से पूरी तरह गायब हो सकते हैं या इनका दायरा काफी कम हो सकता है. मार्केट रिसर्चर काउंटरपॉइंट टेक्नोलॉजी के डेटा से पता चलता है कि टीवी शिपमेंट में चीनी ब्रांड्स की हिस्सेदारी अप्रैल-जून तिमाही में गिरकर 33.6% हो गई है, जो एक साल पहले इसी अवधि में 35.7% थी. जुलाई और अगस्त में भी गिरावट देखने को मिली है, जिसमें चीनी ब्रांड्स की हिस्सेदारी 30-30% तक गिरी है.
चीनी ब्रांड्स के शिपमेंट में गिरावट का कारण सैमसंग, एलजी और सोनी के मिड-सेगमेंट और प्रीमियम मॉडल्स का उपभोक्ताओं की पसंद बनना है. इसके अलावा सेनसुई और एसर जैसे अन्य ब्रांड्स के प्रति भी लोगों की रुचि बढ़ी है. बाजार में ग्राहकों के लिए कई विकल्प मौजूद हैं. इस बारे में रिटेल चेन के एक्सपर्ट का मानना है कि लॉयड जैसे ब्रांड तेजी से उभर रहे हैं. वहीं चीनी ब्रांड, जो पहले काफी पैठ बना चुके थे, अब घाटे में हैं. टीवी सेगमेंट में, कम चीनी ब्रांड हैं, जिससे दूसरों को आसानी से हिस्सेदारी हासिल करने का मौका मिलता है. Xiaomi, OnePlus, Realme, TCL और iFfalcon जैसे चीनी ब्रांड्स ने 2017-18 से भारतीय टीवी बाजार में तूफान ला दिया था. चाइनीज कंपनियों ने एलजी, सैमसंग और सोनी की तुलना में 30-50% कम कीमतों पर अपने मॉडल लॉन्च किए थे, जिसके चलते तेजी से इनकी बाजार में हिस्सेदारी बढ़ी थी.