भले ही फेसबुक, एमेजॉन, एपल, नेटफ्लिक्स और गूगल जिन्हें आम बोलचाल में FAANG के नाम से जाना जाता है और ये US स्टॉक्स में निवेश करने वाले ज्यादातर भारतीयों के पसंदीदा हैं, लेकिन टेक्नोलॉजी के परे भी कुछ ऐसी थीम्स हैं जो कि रिटर्न दे सकती हैं. ग्लोबल इनवेस्टिंग फर्म विनवेस्टा (Winvesta) ने ऐसे ही कुछ निवेश आइडियाज का जिक्र किया है.
विनवेस्टा के फाउंडर और चीफ एग्जिक्यूटिव स्वास्तिक निगम कहते हैं, “FAANG, ट्विटर और टेस्ला से हटकर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV), फार्मास्युटिकल्स और रिमोट वर्किंग जैसी कई दिलचस्प थीम्स मौजूद हैं.”
कंपनी के पास मौजूद डेटा से पता चलता है कि चाइनीज EV कंपनियां NIO और Xpeng भी अमरीकी बाजार में लिस्टेड उन कंपनियों में हैं जिन्हें भारतीय पसंद करते हैं.
निगम जिन स्टॉक्स का जिक्र करते हैं उनमें फार्मा सेक्टर में फाइजर (Pfizer) और मॉडर्ना शामिल हैं जो कि कोविड-19 वैक्सीन की वजह से सुर्खियों में हैं. वे ये भी कहते हैं कि प्रोजेक्ट मैनेजमेंट सर्विस Asana और कॉलेबोरेशन एप्लिकेशन Zoomजैसे रिमोट वर्किंग टूल्स भी भारतीय निवेशकों की पसंद बने हुए हैं.
अमरीकी स्टॉक्स में निवेश- सीधे करें या म्यूचुअल फंड्स के जरिए?
करीब 38 इंटरनेशनल म्यूचुअल फंड्स फिलहाल भारत में सर्विस ऑफर कर रहे हैं. इनमें से 10 तो पिछले साल ही लॉन्च हुए हैं. ये ट्रेंड दिखाता है कि भारतीय ग्लोबल एसेट्स में पैसा लगाने में काफी दिलचस्पी दिखा रहे हैं.
हालांकि, म्यूचुअल फंड्स के मुकाबले ये ज्यादा जटिल हैं लेकिन अमरीकी सिक्योरिटीज में सीधे निवेश के अपने फायदे हैं. निगम कहते हैं, “आप ग्लोबल IPO, इंट्राडे ट्रेडिंग और स्टॉक्स को होल्ड करने जैसे काम करते हैं.”
क्या ग्लोबल बाजार में पैसा केवल अमीर लगा सकते हैं?
ग्लोबल इनवेस्टिंग भारतीय स्टॉक्स में पैसा लगाने के मुकाबले थोड़ा महंगा है. इसमें रेमिटेंस और रीपाट्रीएशन कॉस्ट भी जुड़ती है. बैंक 100 रुपये से लेकर 2,000 रुपये तक फीस चार्ज करते हैं और इसके अलावा हर ट्रांजैक्शन पर एक वैरिएबल फीस भी लेते हैं.
मल्टी करेंसी अकाउंट को होल्ड करना भी खर्च बढ़ाता है. हालांकि, अमरीकी स्टॉक्स में फ्रैक्शनल ओनरशिप की भी इजाजत है.