कंपनियां IPO से पैसा जुटाने का एक मकसद ये भी बताती हैं कि वे इस पैसे से दूसरी कंपनियों की खरीदारी करेंगी. अब सेबी के नए नियम के मुताबिक, कंपनियों को बताना होगा कि IPO से जुटाई रकम का कितना हिस्सा वे दूसरी कंपनियों की खरीद पर खर्च करने वाली हैं. यानी इस मामले में तस्वीर ज्यादा साफ हो जाएगी.
IPO से जुटाई जाने वाली रकम का एक मकसद आम कामकाजी खर्च होते हैं. अब सेबी चाहता है कि कंपनियां IPO से मिलने वाली रकम का 35% से ज्यादा हिस्सा इस मद में न दिखाएं.
सेबी ऑफर फॉर सेल की शर्तों को भी कड़ा कर सकता है और साथ ही एंकर निवेशकों के लिए लॉक-इन अवधि को भी बढ़ा सकता है. लॉक-इन पीरियड यानी निवेशक इस दौरान अपने शेयरों को बेच नहीं सकते हैं.
अमूमन एक आम निवेशक IPO में पैसा लगाते वक्त कंपनी क्या काम करती है और पैसे क्यों जुटाना चाहती है, ऐसे सवालों पर गौर नहीं करता. यानी खबर तो ये है कि सेबी चाहता है कि आप इन्हें गौर से पढ़ें और जानें कि कंपनी क्या करती है और पैसे को कहां लगाना चाहती है.
तो सीधे तौर पर ये आपके पैसों को गलत हाथों में जाने से बचाने की कवायद है और अब चलते-चलते एक खुशखबरी ये भी है कि सेबी ने 6 नए IPO को मंजूरी दे दी है, यानी आपके हाथ होंगे कमाई करने के भरपूर मौके, लेकिन, आंख बंद करके किसी भी IPO में न लगाएं पैसे निवेश का फैसला करने से पहले कंपनी के बिजनेस मॉडल, पैसे जुटाने का मकसद, ग्रोथ के मौके, कर्ज और मैनेजमेंट के विजन जैसे फैक्टर्स पर नजर जरूर डालें.