हर आईपीओ के पीछे न भागें, जोमैटो से लेकर नायका तक सबक ही सबक

पेटीएम भारत में स्टार्ट अप क्रांति का चेहरा है, लेकिन पेटीएम अपने बिजनेस मॉडल से बाजार को खुश नहीं कर पाया.



जोमैटो, पेटीएम और नायका एक लाख करोड़ की कंपनियां बन गईं. ईज माय ट्रिप, कार ट्रेड और पीबी फिनटेक को आइपीओ (IPO) पर जबरदस्त बोलियां मिली, जोमैटो से पेटीएम तक स्टार्टअप्स की लिस्टिंग का एक दौर पूरा हो गया. कहीं निवेशकों ने अच्छी कमाई की तो कहीं तगड़ी चोट भी खाई, लेकिन इंटरनेट बेस्ड कंपनियों की लिस्टिंग निवेशकों को कई सीख दे गई, चलिए समझते हैं कि स्टार्टअप्स की लिस्टिंग से हमने क्या सीखा?

पहला सबक – हर स्टार्टअप के IPO में पैसा बनेगा कोई गारंटी नहीं

पेटीएम की लिस्टिंग के दिन ही शेयर में लोअर सर्किट लग गया. निवेशकों को करीब 35000 करोड़ का चूना लगा. जिन लोगों को आइपीओ में अलॉटमेंट मिला उनकी चौथाई पूंजी स्वाहा हो गई. पेटीएम भारत में स्टार्ट अप क्रांति का चेहरा है, लेकिन पेटीएम अपने बिजनेस मॉडल से बाजार को खुश नहीं कर पाया. इसके अलावा कार ट्रेड और फिनो पेमेंट बैंक में भी लोगों को लिस्टिंग के दिन नुकसान हुआ था.

दूसरा सबक – छोटे स्टार्टअप्स में बड़े या बहुचर्तित से ज्यादा कमाई हो सकती है

कमाई के लिए स्टार्टअप का बड़ा होना जरूरी नहीं. जरूरी है उसका अच्छा बिजनेस मॉडल. नायका में निवेशकों के पैसे दोगुने हो गए, जबकि पेटीएम में तगड़ा नुकसान हुआ. ईज माय ट्रिप भी इसका अच्छा उदाहरण है. लिस्टिंग से अब तक ईज माय ट्रिप में निवेशकों को 173 फीसदी के रिटर्न मिले हैं. 5500 करोड़ मार्केट कैप वाली इस कंपनी ने लिस्टिंग के दिन भी निवेशकों को 11 फीसदी का रिटर्न दिया था.

तीसरा सबक – बिना कारोबार समझे स्टार्टअप्स के IPO में पैसा न लगाएं

किसी स्टार्टअप्स में अच्छे रिटर्न के लिए जरूरी है कि उसका बिजनेस मॉडल दमदार हो. पेटीएम, फिनो पेमेंट बैंक और कार ट्रेड जैसी कंपनियां इसी कारण बाजार में उत्साह नहीं भर पाईं. और तीनों ही कंपनियों की लिस्टिंग डिस्काउंट पर हुई.

चौथा सबक – बाजार को आज भी मुनाफा कमाने वाली कंपनियां ज्यादा पसंद

निवेशकों उन्हीं कंपनियों में पैसा लगाना पसंद करते हैं जो या तो मुनाफे में हो या फिर निकट भविष्य में मुनाफे में आने की पुख्ता उम्मीद हो. नायका और पेटीएम इसके प्रत्यक्ष उदाहरण हैं.

पांचवां सबक –  नाम नहीं काम पसंद करता है बाजार

कंपनी कितनी भी बड़ी या नामी गिरानी क्यों न हो जरूरी है उसका पुख्ता बिजनेस मॉ़डल. पेटीएम के देश में सवा तीन करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं. बड़े निवेशकों की पूरी फौज पेटीएम के पीछे खड़ी है, लेकिन आईपीओ में यह कुछ भी काम नहीं आया. क्योंकि बाजार को कंपनी के बिजनेस मॉडल में मुनाफा नहीं दिख रहा है. मैक्वायरी की रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है कि कंपनी को मुनाफे में आने में 8 साल का समय लगेगा.

छठा सबक – अधिक प्रतिस्पर्धा वाले स्टार्टअप्स से बाजार उत्साहित नहीं

बाजार कॉम्पिटीशन को पंसद नहीं करता है. अगर आपका स्टार्टअप मोनोपॉली वाला है तो निश्चित तौर पर बाजार का पसंदीदा होगा. पेटीएम को यूपीआई से तगड़ी प्रतिस्पर्धा मिल रही है. जबकि नायका का अपना एक खास यूजर बेस और बाजार है. बाजार इन्हीं संभावनाओं में भरोसा करता है. यही कारण है कि नायका, जुमैटो और पीबी फिनटेक को बाजार का अच्छा रिस्पॉन्स मिला.

सातवां सबक –  स्टार्टअप्स को वैल्युएशन्स के हिसाब से निवेशकों के लिए कुछ छोड़ना पड़ेगा

बहुत महंगे वैल्युएशन वाले स्टार्टअप्स को बाजार पसंद नहीं करता है. निवेशकों की थाली में कुछ नहीं आएगा तो निवेशक आईपीओ में पैसा नहीं डालेगा. पेटीएम, कार ट्रेड जैसे स्टार्टअप्स के साथ कुछ ऐसा ही दिखा. जहां निवेशकों के हाथ कुछ नहीं आया.

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Published - November 22, 2021, 01:31 IST