भारत में केवल 3.7% लोगों के पास ही इंश्योरेंस (Insurance) कवर है. उसमें भी एक बड़ी तादाद में लोग गलत इंश्योरेंस पॉलिसी खरीद बैठते हैं. जानकारी का आभाव और कंपनियों के लुभावने वादों के चक्कर में लोग ऐसी जीवन बीमा खरीद लेते हैं जिसकी उन्हें जरूरत नहीं होती. लेबर लॉ एडवाइजर यूट्यब चैनल के को-फाउंडर मंदीप गिल के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ. उनके पिता लगातार 10 साल से ऐसी पॉलिसी का प्रीमियम दिए जा रहे थे जिसमें उन्हें लाइफ कवर केवल 2 लाख का मिल रहा था. मंदीप जब इंश्योरेंस कंपनी के पास इसे लौटाने पहुंचे तो कंपनी के रिप्रेजेंटेटिव कभी रिटर्न तो कभी 10 साल से चली आ रही पॉलिसी को लौटाना कितना घोर अपराध है बताकर पॉलिसी लौटाने में आनाकानी करते रहे . तब मंदीप को महसूस हुआ कि न जाने कितने लोग इस तरह से फंसते हैं और उन्होनें इंश्योरेंस के हर पहलू को आसान बनाने का जिम्मा अपने यूट्यूब चैनल पर जागरूक जनता सीरिज में उठाया.मंदीप के इंश्योरेंस के वीडियो को लाखों व्यूज मिले.
इंश्योरेंस और इन्वेस्टमेंट अलग-अलग
मंदीप गिल के मुताबिक इंश्योरेंस को रिटर्न कमाने का सस्ता जरिया मानना सबसे बड़ी भूल है. यही वजह है कि लोग लिमिटेड पे और रिटर्न ऑफ प्रीमियम या ULIP जैसी पॉलिसी खरीद लेते हैं. इनमें इंश्योरेंस कवर से लेकर रिटर्न दोनों नाम मात्र का मिलता है. इसलिए न सही से निवेश ही हो पाता है और न ही पर्याप्त इंश्योरेंस कवर मिल पाता है.
कैसा इंश्योरेंस खरीदें ?
इंश्योरेंस आपको अपने से ज्यादा अपने परिवार की जरूरतों का ख्याल रखते हुए लेना चाहिए. इंश्योरेंस आपकी आमदनी का 15-20 गुना होना चाहिए. मंदीप गिल मानते हैं कि प्रीमियम को खर्चा मानने वालों को सोचना चाहिए कि अगर उन्हें कुछ हो जाएगा तो वो परिवार को फाइनेंशियल लायबिलिटी देना चाहते हैं या कवर के तौर पर पैसा जो उवनकी मदद कर सके. इंश्योरेंस की भीड़ में एक बेसिक कम प्रीमियम वाल टर्म इंश्योरेंस सबसे बेहतर इंश्योरेंस है जो सभी के पास होना चाहिए.