कई ऐसे हाई रिस्क वाले म्यूचुअल फंड होते हैं जिनमें ज्यादा पैसा बनाने की अच्छी गुंजाइश होती है.
शेयर बाजार में गिरावट को देखते हुए इक्विटी म्यूचुअल फंड्स में क्या निवेश से परहेज करना चाहिए, पुरानी एसआईपी चल रही हैं, उन्हें चालू रखें या रोक दें.
शेयर बाजार के भारी उतार- चढ़ाव में क्या हो रणनीति और आखिरी विदेशी निवेशक कब लौटेंगे वापस जानने के लिए देखिए हमारा ये खास कार्यक्रम.
किसी म्यूचुअल फंड में ज्यादा डायवर्सिफिकेशन आपके पोर्टफोलियो के लिए नुकसानदेह क्यों हो सकता? इसे बैलेंस कैसे कर सकते हैं? देखिए यह वीडियो...
अगर आपको यह समझ नहीं आता कि कौन से म्यूचुअल फंड में और कितने समय तक पैसा लगाया जाए, तो आप ड्यूरेशन फंड का सहारा ले सकते हैं.
किसी म्यूचुअल फंड को चुनने में उसका लक्ष्य, उद्देश्य, टाइम होराइजन, जोखिम लेने की क्षमता का ध्यान रखते हैं.
सॉल्यूशन ओरिएंटेड फंड्स ने लॉन्ग-टर्म के जटिल लक्ष्यों के लिए एक सरल वित्तीय समाधान पेश किया है.
डेट फंड ऐसे म्यूचुअल फंड होते हैं, जो मोटे तौर पर सरकारी बॉन्ड, कॉरपोरेट बॉन्ड, ट्रेजरी बिल जैसी फिक्स्ड इनकम एसेट में निवेश करते हैं.
स्विंग प्राइसिंग में फंड हाउस किसी स्कीम के NAV को एडजस्ट करते हैं.
FD की तरह इनके मैच्योर होने का एक तय तिथि होती है, इसलिए इन्हें टारगेट मैच्योरिटी फंड कहते हैं.